मूकमृत्तिका’ महाकाव्य एवं ‘धीवरोदयम्’ चम्पूकाव्य का भव्य लोकार्पण समारोह एवं राष्ट्रिय विद्वत्संवाद सफलता पूर्वक हुआ सम्पन्न

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‘मूकमृत्तिका’ महाकाव्य एवं ‘धीवरोदयम्’ चम्पूकाव्य  का भव्य लोकार्पण समारोह एवं राष्ट्रिय विद्वत्संवाद सफलता पूर्वक हुआ सम्पन्न
सम्पूर्ण मानवता के लिए एक अमूल्य निधि है आचार्यश्री का साहित्य : आचार्य श्री समयसागर जी महाराज
निर्यापक श्रमण मुनि श्री अभयसागर जी महाराज ने सुनाए अनेक अविस्मरणीय दुर्लभ संस्मरण
सतना। संत शिरोमणि आचार्यश्रेष्ठ श्री विद्यासागर जी महाराज की कालजयी कृति ‘मूकमाटी’ के संस्कृत अनुवाद ‘मूकमृत्तिका’ एवं ”धीवरोदयम् चंपूकाव्य’ का भव्यातिभव्य लोकार्पण समारोह व राष्ट्रीय विद्वत्संवाद  11 व 12 जनवरी 2025 को दो दिवसीय आयोजन सतना, मध्यप्रदेश में दिगम्बर जैन समाज सतना के आयोजकत्व में परमपूज्य आचार्य श्री 108 समयसागर जी महाराज जी महाराज,  निर्यापक श्रमण श्री अभयसागर जी महाराज, आर्यिका श्री ऋजुमती माता जी सहित  16 मुनिराज, 11 आर्यिका, 11 क्षुल्लक जी के मङ्गल सान्निध्य में अभूतपूर्व सफलता के साथ संपन्न हुआ । संयोजक डॉ ब्र. धर्मेन्द्र भैया, जयपुर एवं डॉ. सोनल कुमार जैन, दिल्ली रहे। निर्देशक पंडित सिद्धार्थ जैन, सतना एवं प्रबंध संयोजक पंडित महेश जैन सतना रहे। संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की समाधि के उपरान्त उनकी जीवन्त स्मृतियों की छाया में उनकी कालजयी कृतियों पर दो दिन में चार सत्रों में सारगर्भित चर्चा- परिचर्चा हुई।
‘मूकमृत्तिका’ एवं ”धीवरोदयम् चंपूकाव्य’ का भव्यातिभव्य लोकार्पण : इस मौके पर 11 जनवरी को  ‘मूकमृत्तिका’ का भव्य लोकार्पण विद्वानों एवं अतिथियों द्वारा किया गया। मूकमाटी का संस्कृत अनुवाद  संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान प्रोफेसर अभिराज राजेन्द्र मिश्र, शिमला ने किया है।  ”धीवरोदयम् चंपूकाव्य’ का विमोचन 12 जनवरी को अतिथियों और विद्वानों द्वारा किया गया। कृतियों के कुशल संपादक प्रोफेसर जयकुमार जैन मुजफ्फरनगर, डॉ. ब्र. धर्मेन्द्र कुमार जैन, जयपुर एवं डॉ. सोनल कुमार जैन, दिल्ली ने कृतियों का विमोचन कराने के बाद आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के कर कमलों में एक-एक प्रति भेंटकर आशीर्वाद लिया।
सम्पूर्ण मानवता के लिए अमूल्य निधि आचार्यश्री का साहित्य : इस अवसर पर आचार्य श्री समयसागर जी महाराज ने कहा कि आगम अथाह है, श्रुत का अंत नहीं है, समय कम है । ‘मूकमाटी’ क्या कह रही है इसको समझो। गुरुदेव ने जो कहा है वह आत्मसात हो जाय तो मूक माटी की सार्थकता है। पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज अवर्णनीय साधक थे। उनको तलस्पर्शी ज्ञान था।
आचार्यश्री ने कहा कि मन को संयमित करना बहुत कठिन है। जो ज्ञान के साथ-साथ चारित्र के क्षेत्र में आगे बढ़ता है उसी का मन संयमित हो सकता है। आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी ने कहा था कि तुम पुण्य के उदय में दीक्षित हो गए हो लेकिन मन को संयमित रखना। आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज ने साधना के साथ-साथ साहित्य का सृजन किया। आचार्य विद्यासागर जी की विद्वत्ता, तपस्या, और आध्यात्मिक उत्कर्ष का प्रतिबिंब उनके साहित्य में देखा जा सकता है। मूकमाटी महाकाव्य में आचार्य गुरूदेव विद्यासागरजी ने अपनी गहन आध्यात्मिक समझ और ज्ञान के ताने -बाने को बड़ी ही रोचकता से काव्य के माध्यम से साझा किया है। गुरुदेव के साहित्य में जीवन की सार्थकता, आध्यात्मिक जागृति और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाने वाले विचारों का समावेश है।
दो दिवसीय विद्वत्संगोष्ठी में सबने आनंद की अनुभूति का अनुभव किया है, यह अवर्णनीय है । आचार्य श्री समयसागर जी महाराज ने संगोष्ठी में आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज से जुड़े अनेक प्रसंग भी सुनाए। आचार्यश्री द्वारा दिये गये सारगर्भित प्रवचनों से अपने मन और इन्द्रियों को जीतकर संयमित होकर मनुष्य पर्याय सार्थक करने का प्रभावी सन्देश सभी को प्राप्त हुआ है ।
50 विश्वविद्यालयों में मूकमाटी महाकाव्य पाठ्यक्रम में  है शामिल : निर्यापक मुनि श्री अभयसागर जी .
आयोजन में निर्यापक श्रमण मुनि श्री अभयसागर जी महाराज के तथ्यपरक संस्मरणात्मक प्रवचन एक अविस्मरणीय दुर्लभ उपलब्धि रही है। उन्होंने बताया कि आचार्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज सहजता और सरलता से अपनी बात हम शिष्यों को सिखा देते थे। गुरुदेव की प्रेरणा से 156 गौशालाएं चल रही हैं। ‘दयोदय एक्सप्रेस’ का नाम आचार्यश्री की प्रेरणा से ही हुआ था। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी गुरुदेव के दर्शन करने आए थे तब आचार्यश्री गुरुदेव ने उनसे कहा था कि देश को प्रगति की ओर ले जाना है तो ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाओ। तभी से प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत की बात शुरु कर दी थी। नई शिक्षा नीति में मानव मात्र के लिए, देश की उन्नति के लिए आचार्यश्री के अनन्त उपकार हैं।
गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज ने 25 अप्रैल 1984 में जबलपुर (म.प्र.) में ‘मूकमाटी’ लिखना शुरू की थी तथा 11, फरवरी 1987 को सिद्धक्षेत्र नैनागिरी (छतरपुर) में इसका समापन किया था। 1023 दिन में यह कृति पूर्ण हुई थी। उन दिनों जो देश में आतंकवाद के कारण जो  विषम परिस्थितियां थीं उनका वर्णन मूकमाटी में किया गया है। देश  के 50 विश्वविद्यालयों में ‘मूकमाटी’ महाकाव्य पाठ्यक्रम में शामिल है। मूकमाटी का 12 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। धीवरोदय गुरुदेव ने 1998 में लिखना शुरू किया था और 2001 में नेमावर में इसका समापन किया था।
प्रमुख विद्वान रहे शामिल : आयोजन में प्रमुख रूप से प्रोफेसर अभिराज राजेन्द्र मिश्र शिमला, प्रोफेसर  जानकीप्रसाद द्विवेदी वाराणसी, शास्त्रि परिषद के अध्यक्ष डॉ श्रेयांस कुमार जैन- बड़ौत, श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर के अधिष्ठाता डॉ. जय कुमार जैन- मुजफ्फरनगर, विद्वत्परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार जैन -वाराणसी, शास्त्रि परिषद के महामंत्री ब्र. जय कुमार निशान्त -टीकमगढ़ , ब्र. विनोद भैया -छतरपुर, डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन भारती -बुरहानपुर, ब्र. जिनेश मलैया -इंदौर, ब्र. मनीष भैया ज्ञान -जहाजपुर, प्रतिष्ठाचार्य विनोद कुमार जैन -रजवांस, पंडित महेश जैन -सतना, ब्र. अशोक भैया, डॉ. ब्र. अनिल जैन प्राचार्य- जयपुर, पंडित सिद्धार्थ जैन- सतना, डॉ. सुनील जैन संचय -ललितपुर, डॉ. सोनल कुमार जैन- दिल्ली, डॉ. आशीष कुमार जैन -सागर , डॉ. पंकज कुमार जैन -इंदौर, डॉ. अमित जैन ‘आकाश’ -वाराणसी, डॉ. शैलेश जैन- बाँसवाड़ा, डॉ . आशीष जैन बम्होरी- दमोह, पंडित विनोद शास्त्री -गौना, पंडित अभिषेक शास्त्री- सागर, पंडित शिखर जैन -दिल्ली, प्रोफेसर संगीता मेहता- इंदौर, ब्र. वीरेंद्र कुमार जैन शास्त्री- हीरापुर, पंडित संजीव जैन शास्त्री -महरौनी, डॉ. नीलम जैन -ललितपुर, पंडित सुदर्शन जैन- पिण्डरई, पंडित हेमंत जैन शास्त्री आदि विद्वान प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। जिन्होंनेचर्चा-परिचर्चा में भाग लिया।
गणमान्य अतिथिगण हुए शामिल : इस मौके पर राजकुमार आचार्य, कुलगुरु, अवधेशप्रताप विश्वविद्यालय रीवा, डॉ. भरत मिश्रा कुलगुरु ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट, ए के एस विश्वविद्यालय के कुलगुरु बी ए चौपड़े, ए. के.एस. विश्वविद्यालय के  प्रति कुलगुरु डॉ हर्षवर्धन श्रीवास्तव, डी के राय प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय सतना, डॉ अशोक भौमिक कृषि वैज्ञानिक, माननीया प्रतिमा बागरी राज्यमंत्री मध्यप्रदेश सरकार, अमरपाटन ( सतना) विधायक  सुरेन्द्र सिंह गहरवार, आर के श्रीवास्तव, आर के त्रिपाठी प्रति कुलपति, कवि चंद्रसेन जैन, वास्तुविद राजेन्द्र जैन आदि अतिथिगण प्रमुख रूप से मंचासीन रहे।
विद्वानों का बहुमान : इस मौके पर महावीर दिगम्बर जैन पारमार्थिक संस्था एवं सकल जैन समाज सतना द्वारा समागत विद्वानों का अंग वस्त्र, तिलक, माला , स्मृति चिह्न, साहित्य, प्रशस्ति पत्र आदि के द्वारा अध्यक्ष अरविंद सराफ, मंत्री अंशुल जैन, सिंघई जय कुमार जैन, पंडित महेश जैन,पंडित सिद्धार्थ कुमार जैन, संदीप जैन (LIC), वर्धमान जैन आदि ने भावभीना बहुमान-सम्मान किया। विद्वानों के अतिथिसत्कार की सभी ने भूरि-भूरि प्रसंसा की। आचार्य श्री समयसागर महाराज की समयबद्धता शास्त्रानुशाषित चर्या और कुशल संघ संचालन देखकर आचार्यश्री विद्यासागर महाराज की जीवन्त छवि मानस पटल पर बार-बार उभर रही थी ।
विभिन्न कृतियों का भी हुआ विमोचन : आयोजन में  दृष्टांत समुच्चय, स्मरणांजलि (पंडित गुलाबचंद्र पुष्प), भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की डाक टिकट एवं डाक आवरण, आचार्य श्री विद्यासागर जी पर भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी विशेष आवरण संग्रह, सर्वोदयी संत की राष्ट्रीय देशना, मिरेकल, ध्यानोपदेश, लघु नयचक्र, परमागमसार, जैन विद्या ज्योतिष पंचांग, संस्कार सागर पत्रिका (जनवरी अंक) आदि अनेक कृतियों का विमोचन किया गया।
6 फरवरी को मनाएं प्रथम समाधिमरण दिवस :
निर्यापक श्रमण अभयसागर जी महाराज ने शास्त्रि-परिषद एवं विद्वत् परिषद के विद्वानों से कहा कि आगामी 6 फरवरी को आचार्यश्री की प्रथम पुण्यतिथि आ रही है। दोनों परिषद के विद्वान, साधुवृन्द एवं समाज भी  इस अवसर पर अपनी सार्थकता भूमिका का निर्वाह करें।
आचार्यश्री का अतुलनीय साहित्यिक अवदान : प्रोफेसर अभिराज राजेन्द्र मिश्र मूकमाटी के संस्कृत अनुवादक देश के शीर्षस्थ संस्कृत साहित्यकार और विश्वविख्यात संस्कृतकवि प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र (पूर्व कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी) अपने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि -सभी कवि किसी नदी , झरने या सरोवर की तरह हैं , परन्तु आचार्यश्री विद्यासागर महाराज तो उन सभी का सङ्गम हैं । वे अप्रतिम काव्य प्रतिभा , अगाध वैदुष्य और दुर्लभ चारित्र के महासागर थे। मूर्धन्य साहित्यकार प्रो.अभिराज राजेन्द्र मिश्र का यह अभिकथन आचार्यश्री के अतुलनीय साहित्यिक अवदान को प्रकट करता है ।
उन्होंने कहा कि एकलव्य की भांति मृत्तिका की मूर्ति बनाकर मैंने आचार्य श्री विद्यासागर जी को पूजा । मुझे मेरी दक्षिणा भी मिल गयी। हमें तो सबकुछ बिना अँगूठा  दिए ही मिल गया है।  महाकवि प्रसाद की कामायनी जिस भारतीय दर्शन का वर्णन करती है वैसी ही मूकमाटी महाकाव्य है। अर्थववेद की तरह इसमें पृथिवी का वर्णन है। इस महाकाव्य का हिंदी अनुवाद सभीविश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में रखा जाना चाहिए।
प्रत्येक भारतीय के लिए प्रणम्य है मूकमाटी : कुलगुरु राजकुमार आचार्य
आयोजन में अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवा के कुलगुरु राजकुमार आचार्य ने कहा कि मूकमाटी एक ऐसा ग्रंथ है जो प्रत्येक भारतीय के लिए प्रणम्य है। उन्होंने 2021 का जबलपुर में आचार्यश्री के साथ संस्मरण सुनाते हुए कहा कि जब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से पूंछा की नई शिक्षा नीति में क्या होना चाहिए? तो उन्होंने एक लाइन में उत्तर दिया  था कि- ‘शिक्षा में भारत को पढ़ाइये।’
आचार्यश्री की देन अविस्मरणीय : राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी
आयोजन में शामिल विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश सरकार की राज्यमंत्री माननीय श्रीमती प्रतिमा बागरी ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का योगदान अविस्मरणीय है। उनके दिखाए पदचिह्नों पर हम सभी चलें।
यशस्वी व्रती कवि श्री चन्द्रसेन जी भोपाल की गुरुभक्ति से ओतप्रोत काव्यपाठ के श्रवण से सभी श्रोता गुरुभक्ति में निमग्न हो गये।
दस देशों से आए श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद :
इस मौके पर पुष्पकरणी पार्क सतना का नाम आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के नाम से रखने की घोषणा की गई।आयोजन में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं आचार्य श्री समय सागर जी महाराज की पूजन भक्ति संगीत के साथ की गई जिसका मंत्रोच्चार आर्यिका ऋजुमती माता जी द्वारा किया गया। आयोजन में दस देशों से आए श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। अफ्रीका से नारियल लेकर आए अजीत गांधी मुंबई ने नारियल भेंट किया। इसी नारियल से कमण्डलु तैयार होते हैं।
महत्वपूर्ण आलेख हुए प्रस्तुत : इस दौरान चार सत्रों में दोनों कृतियों से संदर्भित शोधालेख विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किए गए। जिसमें प्रोफेसर अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने मूकमृत्तिका,  प्रोफेसर जानकीप्रसाद द्विवेदी वाराणसी ने धीवरोदय में माहेन्द्र व्याकरण का प्रयोग,  डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत ने मूकमृत्तिका में जैन सिद्धांत, डॉ. जय कुमार जैन, मुजफ्फरनगर ने मूकमृत्तिका के संस्कृत अनुवाद की विशेषताएँ, डॉ. ब्र. धर्मेंद्र भैया , जयपुर ने मूकमृत्तिका में जीवनमूल्य, डॉ सोनल कुमार जैन, दिल्ली ने धीवरोदय की मूल्यात्मक मीमांसा, डॉ आशीष जैन, सागर ने मूकमृत्तिका में सूक्तियाँ, पंडित शिखर जैन, दिल्ली ने चम्पूकाव्य की  परंपरा में धीवरोदय का स्थान, पंडित विनोद जैन शास्त्री, गौना धीवरोदय का उपजीव्य एवं कथा विस्तार विषय पर अपने आलेख प्रस्तुत किए, जिनपर चर्चा-परिचर्चा विद्वानों द्वारा की गयी।
मूकमाटी एनीमेशन फ़िल्म का किया गया प्रदर्शन : 11 जनवरी को रात्रि में 7.30 बजे से परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की कालजयी कृति मूकमाटी पर आधारित मूक माटी एनीमेशन फ़िल्म को दिखाया गया जिसे देखने श्रद्धालु उमड़ पड़े। संगोष्ठी में समागत विद्वानों ने भी फ़िल्म को देखा और इसे बहुत ही अच्छा कदम बताया।
प्रेषक : डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर
9793821108

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