मोक्षमार्ग के महावीर, गिरनार के गौरवधीर।

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भगवान नेमिनाथ को वंदन, मोक्षकल्याणक दिवस को नमन।‘‘

दिनांक 2 जुलाई 2025 बुधवार, आषाढ शुक्ल सप्तमी को गुजरात स्थित श्री गिरनार पर्वत की पंचम टोंक से जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर श्री 1008 भगवान नेमिनाथ जी ने मोक्ष प्राप्त किया, जैन धर्म की अत्यंत पावन व तीर्थभूमि मानी जाती है। इस पावन मोक्षकल्याणक महोत्सव पर गिरनार जी में देश भर से आए श्रद्धालु ने निर्वाण लाडू बड़ी श्रद्धा, भक्ति और उत्साहपूर्वक भव्य रूप से मनाया गया।
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा प्रतिनिधिमंडल एवं सभी संस्थाओं से पधारे श्रेष्ठिगण ने सर्वप्रथम आचार्य श्री एवं मुनिसंधों का आर्शीवाद प्राप्त किया।
तत्पश्चात महोत्सव समिति के परम संरक्षक एवं र्निमल ज्ञान ध्यान केन्द्र के अध्यक्ष सोभागमल कटारिया, अध्यक्ष पारस जैन बज, ऋषभ जैन, आदि पदाधिकारियों द्वारा श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गजराज जैन गंगवाल, महासभा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं गिरनार जी यात्रा संयोजक, श्री पवन गोधा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राजेश बी. शाह, तीर्थक्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जम्बूप्रसाद जैन, महामंत्री श्री संतोष पेंढारी, आदि श्रेष्ठिजनों का सम्मान किया।
निर्वाणमहोत्सव के अवसर पर पहाड़ पर पहली टोंक पर मंदिर जी एवं तलहटी पर र्निमल ध्यान केन्द्र स्थित भगवान नेमीनाथ की उत्तंग प्रतिमा तथा तलहटी प्रांगण में स्थित बंडी धर्मशाला मंदिर जी में मूलनायक 22वें तीर्थंकर नेमिनाथजी के मोक्षकल्याणक पर देश भर से आए जैन श्रद्धालुओं ने निर्वाण लाडू चढ़ाया।
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा प्रतिनिधिमंडल ने गिरनार जी में 22वें तीर्थंकर भगवान श्री 1008 नेमिनाथ के मोक्षकल्याणक दिवस पर पूजन, स्वाध्याय और सामूहिक आराधना का आयोजन किया।
गिरनार जी में देश के विभिन्न प्रांतो से विद्वान, श्रेष्ठि व युवा पहुंचे इस अवसर पर संजय जैन, विश्व जैन संगठन के नेतृत्व में दिल्ली से 1500 किमी लंबी विशाल धर्म पदयात्रा श्री नेमिनाथ भगवान के मोक्षस्थल गिरनार पहुंची, सभी मिलकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में शांति के साथ भगवान नेमीनाथ जी का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया,

भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित डॉ. प्रभाकिरण जैन की पुस्तक ‘गिरनार-सत्य और तथ्य‘ का लोकार्पण किया, पुस्तक में गुजरात जूनागढ़ स्थित गिरि गिरनार ऊर्जयन्त, सहस्रास्रवन, नेमिनाथ, श्रीकृष्ण, यदुवंश, जैन धर्म तथा अन्य प्रकरणों के ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक, सांस्कृतिक पक्षों को प्रामाणिक और तथ्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। नेमिनाथजी भगवान श्रीकृष्ण के चचेरे भाई थे।
इस पावन अवसर पर महासभा के पदाधिकारियों व विभिन्न प्रांतो से विद्वान, श्रेष्ठि व युवा श्रद्धालुओं ने गिरनार तीर्थ की वंदना कर मोक्षमार्ग पर चलने का संकल्प लिया।‘‘

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