6 अगस्त बुधवार 2025
ग्राम चौरई मध्य प्रदेश
दिगंबर जैन समाज के पहले संत हैं जिनके मधुर दिव्या देशना सुनने के लिए दूर-दूर से श्रावक मुनि भक्त अपने-अपने साधनों से गांव में पहुंचते हैं
गणाचार्य विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक परम शिष्य प्रवचन केसरी विश्रांत सागर महाराज ने अपार धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया
सम्यक दृष्टि का पुण्य संसार का कारण नहीं है मोक्ष का ही कारण है ,पुण्य हेय नहीं है बल्कि उपादेय हीं है जैसे केले में लगा छीलका जब तक केला नहीं खाया जाता तब तक छिलका फेंका नहीं जाता उसी तरह से जब तक अरिहंत पद की प्राप्ति ना हो तब तक पुन्य छोड़ा नहीं जाता छूटता है,
मुनि ने यह भी बताया छोटे बच्चों का
कर्म का उदय होने पर ही व संपन्न परिवार में जन्म होता है मां के गर्भ से पुण्यशाली जीव का उत्पन्न होना पुण्य का उदय है पुण्यशाली वह जिनके घर पर मुनियों के पैर पड़ते हैं वह घर स्वर्ग बन जाते हैं
इस संसार में सभी पदों का विनाश हो जाता है अरिहंत सिद्ध पद का कभी विनाश नहीं होता समाज की व्यवस्था करने के लिए पद बनाए जाते हैं उपाधियों से से व्याधिया उत्पन्न होती है
चौरई ग्राम का बहुत बड़ा पुण्य का उदय है जहां पर साधुओं का वर्षा योग होता है वहां सदा मंगल ही मंगल होता है लोगों का वर्षा योग में आना जाना भी एक उत्सव जैसा लगता है
मुनि ने यह भी बताया कि छोटे-छोटे गांव में स्नेह वात्सल्य बहुत ज्यादा देखा जाता है
जब भी आपकी लड़कियों की शादी हो उन्हें धर्म के संस्कार देकर घर से विदा में धन की जगह भगवान महावीर की तस्वीर उसके साथ में देना वह भगवान की तस्वीर ही जीवन में उसके साथ रहेगी और सुख-दुख के अंदर वह मददगार बनेगी
जब बेटी भगवान के प्रति समर्पित रहेगी उनकी प्रतिदिन दीपक जलाकर आशीष प्राप्त करेगी
वह दिन दूर नहीं जब बेटी का घर के अंदर खुशियों की बौछार उत्पन्न होगी
मुनि ने माताओ को संबोधित करते हुए बताया पुण्य के बिना मां के आंचल का दूध भी सूख जाता है ऐसे होने वाला बच्चा भी अशुभ कर्म का उदय है अच्छे परिवार में पुत्र का जन्म होना भी उसे जीव का तीव्र होने का उदय बताया
अपार भक्तों को मुनि ने उद्बोधन के बाद अपना आशीष दिया
महावीर कुमार सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान