गुवाहाटी: स्थानीय फैंसी बाजार स्थित भगवान महावीर जन्म स्थल मे चातुर्मासिक प्रवचन के माध्यम से रोजाना धर्म और ज्ञान की गंगा बह रही है । इस अवसर पर आचार्य श्री ने धर्म सभा में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जहां-जहां मोह है वहां संसार है, परंतु मोह ही सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि मोह हर आदमी को अपने आत्म स्वरूप का ज्ञात नही होने देता है।मोह वाला व्यक्ति गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलता है। वह हमेशा अपने व पराए में लगा रहता है । शराब का नशा तो उतर जाता है लेकिन मोह का नशा व्यक्ति को जन्मो जन्मो तक परेशान करता हैं । मोह के कारण मनुष्य का चेहरा पत्नी के सामने कुछ, पिता के सामने कुछ, बच्चों के सामने कुछ, मित्रों के सामने कुछ होता है। मोह से ढका हुआ ज्ञान वस्तु तत्व की सही जानकारी नहीं दिला पाता है।भगवान राम,कृष्ण, महावीर ,जीसस,आदि यह सभी महापुरुष मोह छोड़कर ही महापुरुष बने थे। मोह के कारण यह जीव संसार मे भटक रहा है। आचार्य श्री ने कहा की मोह कम करना है तो राग द्वेष को कम करना होगा क्योंकि मोह के कारण ही संसार में राग द्वेष है। इससे पूर्व आज महावीर धर्म स्थल मे अवस्थित चंद्रप्रभु चैत्यालय मे श्री जी की शांतीधारा करने का परम सौभाग्य धर्मचंद सेठी धन अंजयनगर, विजयनगर को प्राप्त हु। मालूम हो कि आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ससंघ (13 पिच्छी) के सान्निध्य, विधानाचार्या रचना दीदी एवं संघस्थ बा.ब्र.बीना दीदी के मार्ग दर्शन में रविवार को प्रातः चौंसठ ऋद्धि विधान का आयोजन किया जाएगा। तथा संध्या ६ बजे से महिलाओं की ओर से *मॉं की ममता नाट्य की प्रस्तुति की जाएगी। यह जानकारी समाज के प्रचार प्रसार विभाग के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश सेठी एवं सह संयोजक सुनील कुमार सेठी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है
Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha