मोह के वशीभूत होकर मनुष्य मोह को अपना मान रहा है जो उसका कभी था ही नहीं

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आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी

महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा

7 मई शुक्रवार 2024
श्री केशरायपाटन के जैन अतिशय क्षेत्र पर माताजी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया की दुख का सबसे बड़ा कारण मोह है जीवन में अगर सुख शांति चाहिए तो मोह का त्याग की भावना रखनी होगी जैन अतिशष क्षेत्र पर माता ने बताया जितनी अशुद्धि आई है वह हमारे ज्ञान से है मौह ने जो मेरा है ही नहीं उसको भी अपना मान रहा है
माता-पिता पुत्र पुत्री पत्नी बस मकान सोना चांदी यह सब मोह के ज्ञान के कारण है जबकि मनुष्य को पता है की जन्म के समय वह खाली हाथी आया है लेकिन अज्ञानता के कारण व्यक्ति मोह के जाल में फंसा हुआ है हम मोह के कारण ही कसाई पाप कर रहे हैं मोह और ज्ञान को अलग कर दिया जावे तो कुछ बचेगा ही नहीं

माता ने यह भी बताया कि हमने जो आंखों से देखा कानों से सुना उसको ही प्रमाण मान लिया लेकिन आंखों से देखने के लिए उजाला चाहिए कई बार मनुष्य मौह माया जाल में ऐसा उलझा हुआ है कि आंखें होने पर भी अंधा रहता है उसे कुछ दिखता ही नहीं संपत्ति व मोह दोनों अलग हैं जो मनुष्य धनी है वह उसके पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों का प्रभाव है धनसंपदा ऐसे ही नहीं मिलती लेकिन है मोह संसार बंद का कारण है
दिनभर किए गए पापों के पक्षालन के लिए हमें प्रतिक्रमण करना जरूरी है हमारे द्वारा जाने अनजाने में जो पाप हो जाते हैं किसी जीव का घात हो जाता है किसी से गलत बोल दिया है किसी व्यवहार बिगड़ जाता है किसी को दुख पहुंचा दिया जाता है जैसे शरीर के लिए भोजन जलवायु हवा आवश्यक है के वैसे ही पापों के लिए क्षय करने के लिए प्रतिक्रमण करना बहुत जरूरी माता ने बताया

महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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