मेरा भारत देश महान है- क्षुल्लक महोदय सागर* *धरियावद के चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में किया झंडारोहण

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धरियावद, 15 अगस्त। आज वह दिवस है जो हर बच्चे, बूढ़े, जवान में एक जोश और नई उमंग भर देता है। आज का दिन हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में देश पर मर मिटने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत की गौरव गाथा का स्मरण कराता है। शहीदों के कटे हुए सिरों ने हमें सिर ऊंचा उठाकर जीने का साहस प्रदान किया है। उक्त विचार दिगंबर जैन क्षुल्लक महोदय सागर जी महाराज ने श्री चंद्रप्रभ मंदिर परिसर में पुलक मंच परिवार शाखा धरियावद की ओर से स्वतंत्रता दिवस समारोह पर झंडारोहण के पश्चात् आयोजित सभा को संबोधित करते हुए प्रकट किए।
क्षुल्लक जी ने कहा कि आज का दिन इसलिए भी स्मरणीय है कि हमें 200-250 वर्षों से अंग्रेजों की दासता से मुक्त होकर राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता का मान सम्मान प्राप्त हुआ था। भारत देश की गौरव गाथा आदि ब्रह्मा आदिनाथ, राम, कृष्ण, महावीर के आदर्शों से भरी पड़ी है। यह वह पावन भारत देश है जो हमेशा शांति-सुकून देने वाला है, जो किसी अन्य पाश्चात्य संस्कृति वाले देशों में दृष्टि गोचर नहीं होता है। दुनिया के सारे देशों में भ्रमण कर जब भारत पहुंचते हैं तो हम पाते हैं, ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।’
महोदय सागर जी महाराज ने कहा कि सारे तीर्थ धाम इस भारत की धरा पर विद्यमान हैं, जो इस भारत देश को पवित्र धरा के रूप में गौरवान्वित करते हैं। इस धरा पर पाषाण भी परमात्मा का रूप धारण कर लेता है और सभी के लिए वंदनीय एवं पूजनीय हो जाता है। यहां पर हमारे दिगंबर संत चलते-फिरते तीर्थ हैं।
दिगंबर जैन समाज के अशोक कुमार जेतावत ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में जैन समाज का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। जिसमें समाज के  लाला लाजपत राय, लाला हुकुमचंद जैन, अमरचंद बांठिया, मोतीचंद शाह, अण्णा पत्रावले, वीर साताप्पा टोपण्णवार, फकीरचंद, रायचंद नागड़ा, सिंघई प्रेमचंद, आगरा की अंगूरी देवी, लीला बहन, रमा बहन ने अपनी शहादत देकर या अंग्रेजी हुकूमत के आदेश पर फांसी के फंदे को स्वीकार किया, पर भारत के स्वाभिमान को झुकने नहीं दिया और अमर शहादत को प्राप्त किया।
धर्मसभा के पश्चात् पुलक मंच परिवार द्वारा उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रभावना वितरित की गई। इस अवसर पर बड़ी तादाद में महिला और पुरुष उपस्थित रहे।

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