माता के गर्भ के संस्कार ही जीव में उत्पन्न होते हैं

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जैन मुनि श्रुतेशसागर सागर जी महाराज
16 अगस्त शुक्रवार 2024 प्रातः 8:30 पर शांति वीर धर्म स्थल पर वर्षा योग कर रहे श्रुतेश सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित में बताया कि गर्भ में संस्कार उत्पन्न होने से कर्म का उदय होता है धर्म के कार्य माता द्वारा किए जाने पर निश्चित होने वाला जीव धर्मात्मा ही होगा
जो माताएं गर्भ के समय धार्मिक क्रिया न करके टीवी आदि का प्रयोग करती है अदृश्य चित्र देखने से जीव में कुसंस्कार उत्पन्न होते हैं वह होने वाला जीव अच्छा उत्पन्न नहीं होगा
मुनि ने धर्म मुलाचार ग्रंथ पर बताते हुए कहा जो मुनि बनने के बाद भी साधना मुनि तप नहीं रखते वह दुर्गति में जाते हैं मुनि व्रत संयम चरित्र मुनि के मुख्य लक्षण मुनि ने बताएं
24 घंटे में एक बार विधि पूर्वक आहार लेते हैं नंगे पैर चलते हैं बिना बिस्तर के सोते हैं सिर और ढाडी के कैस लोचन स्वयं करते हैं इतनी तप साधना दिगंबर मुनि करते हैं
स्वयं का कल्याण करते हैं और प्राणी मात्र के लिए शत उपदेश देकर धर्म
सभी का कल्याण करते हैं
शांति धर्म से प्राप्त होती है
जैन मुनि सविज्ञसागर जी महाराज
आज मनुष्य के जीवन में कितनी शांति है कितनी अशांति है इसका कारण स्वयं मनुष्य ही है आज मनुष्य अपने घर अपने परिवार अपने बैंक बैलेंस को बहुत बड़ा मान रहा है फिर भी जीव को शांति प्राप्त नहीं है
मन का विचलित होना परिग्रह अधिक करना ईर्ष्या भाव रखना यह सब कारण मुनि ने अशांति होने के बताएं
मुनि ने यह भी बताया कि पूरा जीवन व्यतीत होने पर भी जीव को शांति नहीं मिल रही कुछ समय के लिए जिनालय में जाने पर जिव को शांति मिलती है बाहर आने पर वापस अशांति हो जाती है
वर्षा योग समिति के प्रचार मंत्री महावीर सरावगी ने जानकारी दी
आज भक्तामर के पुनार्जन सूरजमल मुजिब जयंत मयंक सोगानी परिवार द्वारा चित्र का अनावरण दीप प्रज्वलित मुनि के पाद पक्षालन एवं मंगलाचरण की प्रस्तुति दी
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता महावीर सरावगी

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