मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु क्रोध है

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महावीर कुमार सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान
8 अगस्त शुक्रवार 2025

क्रोध के है कई विपरीत फल :- गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी
भोपाल दिगंबर जैन मंदिर
वर्षा योग में माताजी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया
प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी ने दानिश कुंज कोलार रॉड भोपाल जैन मंदिर में उपस्थित धर्मस्नेही बंधुओ को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – जो आत्मा को कसे अर्थात दुःख दे , उसे कषाय कहते हैं । और ये कोध्रादि चार कषाय हमारी आत्मा में कालिमा पैदा करती है। एक बार के क्रोध करने से 24 घंटे की आयु क्षीण होती है और 17 हजार श्वेत कोशिकाएँ रक्त रुप परिणत हो जाती है । क्रोध में व्यक्ति अंधा – बहरा हो जाता है उसे यह समझ नहीं आता मैं क्या बोल रहा हूँ किससे बोल रहा हूँ। हम छोटी छोटी सी बातों पर क्रोध करने लगते हैं । पार्श्वनाथ भगवान ने तो कमठ की बडी बडी गलतियों को भी क्षमा का स्थान दिया तो हम भी अपने क्षमा गुण को प्रकट कर सकते हैं। हम प्रतिदिन मान करके मार्दव गुण को , मायाचारी करके आर्जव गुण और लोभ करके शौच गुण को नष्ट करते जा रहे हैं जो कि हमारे संसार को बढ़ाने में कारण है । फिर भी इनके प्रति हमारा समर्पण है लेकिन जो  देव शास्त्र गुरू आपको सही राह दिखाने वाले है उनसे आपकी दुरियां है। माताजी ने उपस्थित जनसमूह से कहा  –  क्रोध मान माया लोभ करने से कुछ नहीं मिलने वाला। आज परिवार क्यों टूटते जा रहे हैं इसी क्रोध के कारण । मंदिर में भगवान के दर्शन से कर्म कटते हैं और हम सभी मंदिरों में आकर लडते हैं पाप कर्म जोड़ते हैं । मेरा आप सभी से कहना चाहे घर हो परिवार देश राष्ट्र या मंदिर एकता बनाकर क्षमा धारण करें जिससे एकता भी बनी रहे और आत्मा में भी कर्म परमाणुओं की निर्जरा हो। प्रतीक सेठी ने बताया की आगामी 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मन्दिर जी में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जायेगा ।
माताजी ने में बताया कि क्रोध से बड़ा शत्रु मनुष्य का अन्य नहीं है
क्रोध के आवेश में मनुष्य न जाने कितने पाप कर लेता है और बाद में पश्चाताप होता है
अपने क्रोध पर संयम धारण करना ही सबसे बड़ा ज्ञान माताजी ने बताया
महावीर कुमार सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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