मनुष्य जीवन में दानवता नहीं मानवता अपनाये-गुरुमां विज्ञाश्री माताजी

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महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान
8 जनवरी गुरुवार 2024
श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी जिला टोंक राजस्थान में विराजमान परम पूज्य भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका गुरुमां 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ के दर्शनों का लाभ गुरु भक्त महेश सेठी,जित्तु भैया, बाबूलाल जैन,धर्मचंद पराणा प्रताप नगर जयपुर ने प्राप्त किया। आर्यिका संघ की आहारचर्या कराने का सौभाग्य पारस जी चैनपुरा,निर्मेष भाई कलोल गुजरात सपरिवार ने प्राप्त किया। प्रतीक जैन सेठी ने बताया की प्रवचन सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए माताजी ने कहा कि मनुष्य जीवन संयम से ही सार्थक कर सकते हैं। क्योंकि संयम के बिना हर प्राणी मानवता की परिभाषा को खो बैठता है। यदि सच्चा सुख चाहिए तो दानवता से मन को हटाकर मानवता की परिभाषा में जीवन यापन करें। मैं सुखी और तुम दुखी यह दानवता है और मैं भी सुखी और तुम भी सुखी यह मानवता है।
गुरु माता ने यह भी बताया कि मनुष्य का जीवन भोग विलास के नहीं तप साधना के लिए मिला है
जितना हो सके इस जीवन को धर्म कार्य में लगे ताकि अपना जीवन सुधर सके परिवार में धर्म से अच्छे संस्कार मिल सके

माताजी से ससंघ द्वारा जैन धर्म की महती प्रभावना विज्ञातीर्थ क्षेत्र पर हो रही है। अनेकानेक धार्मिक आयोजनों के माध्यम से श्रद्धालु शांतिधारा,अभिषेक,पूजन,भक्ति, आराधना के द्वारा धर्म से जुड़ रहे हैं। प्रतीक जैन सेठी ने बताया की अतिशयकारी श्री शांतिनाथ भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य अशोक जी रूपनगढ़ ने प्राप्त किया।
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी

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