कोलकाता आज शुक्रवार को पुष्पगिरी प्रेणता आचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर जी मुनिराज के परम शिष्य आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जी डबसन हावड़ा से सुबह करीब 6 बजे विभिन्न मार्गों गुलमोहर,हावड़ा ब्रिज,बड़ाबाजार,मालापाड़ा, शोभाबाजार,श्याम बाजार से होते हुए श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन उपवन मंदिर जी बेलगछिया के लिय हुआ
आचार्य श्री संघ का 2025 का पावन चतुर्मास भी श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन उपवन मंदिर जी बेलगछिया में ही हुआ।
अब आगामी 23 नवम्बर 2025 दिन रविवार से करीब 18 साल के बाद 81 फीट ऊंचे मानस्तंभ का महामस्तका अभिषेक आचार्य श्री संघ के सानिध्य में होने जा रहा है
आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी मुनिराज ने अपने मंगल प्रवचन में बताया कि मानस्तंभ हमारे समवशरण की विभूति होती हैं बिना मानस्तंभ के हम समवशरण में नहीं जाते है और इस मानस्तंभ को स्तंभ को देखकर इंद्रभूति गौतम गणधर का मान गलीत हो गया था जहां से मान खंड खंड हो जाता है वो मानस्तंभ का आकर ले लेता है जहां से मान स्तंभ हो जाता हैं वो मानस्तंभ बन जाता हैं
कोलकाता एवं बृहतर कोलकाता का इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखने जा रहा है 18 बरसों बाद यहां पर इस 81 फिट ऊंचे इस मानस्तंभ का महामस्तका अभिषेक होने जा रहा है कोलकाता,बृहतर कोलकाता एवं भारतबर्ष के सभी साधर्मी बंधुओं को इस भव्य और ऐतिहासिक कार्यक्रम में जुड़ने का प्रयास करना चाहिए
सह संयोजक श्री सुरेश जी सेठी (कानकी) ने बताया कि जैनागम के अनुसार जब भगवान का साक्षात समवशरण लगता है तब चारों दिशाओं में चार मानस्तंभ स्थापित किये जाते हैं मानस्तंभ के चारों दिशाओं में एक एक प्रतिमा स्थापित की जाती हैं अर्थात एक मानस्तंभ में कुल चार प्रतिमाएं होती हैं इस मान स्तंभ को देखकर मिथ्या दृष्टियों का मद,अहंकार गल जाता हैं और भव्य जीव सम्यकदृष्टि होकर समवशरण में प्रवेश कर साक्षात अरिहंत भगवान की वाणी को सुनने का अधिकारी बन जाता हैं
आचार्य श्री संघ के साथ पद विहार में आज हावड़ा से बेलगछिया तक आये मोहित जैन,युवराज जैन,प्रतीक जैन, सोनू जैन,अचल जैन,प्रशांत जैन, संजय जैन, सभी ने एकमत होकर बताया कि काफी समय से हमें इस पल का इंतजार था
















