मनहायम जर्मनी में भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव बड़े उत्साह पूर्वक मनाया गया।

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जर्मनी के मनहायम शहर में  21 अप्रैल रविवार को प्रवासी जैन भारतीय समुदाय ने श्रमणी मलय प्रज्ञा माताजी, श्रमणी नीति प्रज्ञा माताजी के सानिध्य में भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव बड़े हर्षोल्लास व उत्साह पूर्वक मनाया ।
अंकित जैन पुत्र अनिल जैन भीलवाड़ा प्रवासी ने बताया कि जर्मनी के मनहायम शहर  फ्रेंकफर्ट, म्युनिख, हैम्बर्ग शहरों व 200 किलोमीटर की परिधि में रहने वाले 200 श्रावक- श्राविकाओं ने भाग लिया ।
कार्यक्रम के शुभारंभ में भगवान आदिनाथ, शान्तिनाथ व चौबीस तीर्थंकर की प्रतिमाओं पर  अभिषेक, शांतिधारा,  पुजा अर्चना की गई।
महोत्सव में श्वेतांबर समाज की श्रमणी मलय प्रज्ञा माताजी एवम श्रमणी नीति प्रज्ञा  माताजी जी द्वारा दिया गया प्रवचन था, जो “महावीर कैसे बनें” के विषय पर चर्चा करने के लिए भारत  से यूनाइटेड किंगडम होते हुए पधारे थे। यह प्रवचन जैन दर्शन पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करने व सांस्कृतिक एकता और समरसता के महत्व को दर्शाता है।
इस अवसर पर मनहायम शहर के मेयर क्लाउज व  काउन्सलर अमिरबशीर मुख्य अतिथि थे। मेयर क्लाउज संबोधन करते हुए कहा कि भगवान महावीर के  संदेश ” जियो और जीने दो” व “अहिंसा परमो धर्म” के सिद्धांतों का अनुसरण पर चलने का आह्वान किया ।
इसके बाद चौबीस तीर्थंकर की प्रतिमा के साथ श्रावक- श्राविकाओं ने एक रैली का आयोजन किया। पुरुष, महिला, युवा जैन ध्वज लिए महावीर स्वामी के संदेशों के बैनर लिए हुए भजन गीत गाते हुए चल रहे थे।
रैली के पश्चात बच्चों व महिलाओं ने भक्ति भाव से नृत्य कर महोत्सव के चार चांद लगाए । इस अवसर पर बच्चों को पुरस्कार वितरण  कर उत्साहवर्धन किया
आयोजन के सफल आयोजन में समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने सक्रिय योगदान दिया ।
इस अवसर पर आगंतुक श्रावक-श्राविकाओं ने मनहायम में गत दो वर्ष से होने वाले महावीर जयंती आयोजन को आगे भी निरन्तर मनाने का संकल्प लिया व सामुहिक भोज का आनंद लिया ।
यह उत्सव जर्मनी में जैन समुदाय की  एकता व विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोगों को एक साथ लाकर भगवान महावीर की शिक्षाओं और विरासत का सम्मान व अहिंसा मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है
इस अवसर पर भारत प्रवासी बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित था।
उल्लेखनीय है कि जर्मनी के मनहायम शहर में भीलवाड़ा, कोटा, जयपुर राजस्थान के कई प्रवासी वहां निवास कर रहे हैं।
प्रकाशनार्थ हेतु। प्रकाश पाटनी
भीलवाड़ा
जैन गजट संवाददाता

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