मंदिर-मूर्ति विज्ञान पर पहली वैश्विक कार्यशाला सम्पन्न

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मंदिर-मूर्ति विज्ञान पर पहली वैश्विक कार्यशाला सम्पन्न
सैदपुर (पठारी)। विदिशा जिले के पठारी क्षेत्र अंतर्गत सैदपुर गांव में 3 जून से 5 जून 2025 तक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय मूर्ति कला संगोष्ठी का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री दुर्लभ लसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण के साथ हुआ। संगोष्ठी के संयोजक व शास्त्री परिषद के महामंत्री ब्र. जयकुमार जी निशान्त ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य प्राचीन भारतीय मूर्तिकला परंपरा को समर्पित चिंतन, विमर्श और आधुनिक संदर्भों में उसकी पुनर्परिभाषा रहा। आयोजन आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के आशीर्वाद, निर्यापक मुनि श्री अभयसागर जी महाराज की प्रेरणा व मुनि श्री दुर्लभ सागर जी के सान्निध्य में सफलता पूर्वक संपन्न हुई। प्राचीन जैन मंदिर एवं मूर्तिकला परंपरा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से मंदिर एवं मूर्ति विज्ञान पर इतिहास की पहली वैश्विक कार्यशाला का भव्य आयोजन सैदपुर (पठारी) में किया गया।
कार्यशाला में जैन आगम, मूर्ति निर्माण, मूर्ति विज्ञान की वैज्ञानिक विधियाँ और प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त पर विस्तार से शोधपूर्ण प्रस्तुतियाँ दी गईं। मुनि श्री के चिंतन, संयोजन, एवं कार्यशैली ने उपस्थित अंतरराष्ट्रीय विद्वानों एवं प्रशिक्षणार्थियों को गहन चिंतन हेतु प्रेरित किया।
सार्थकता एवं शोध का समन्वय : इस कार्यशाला में मूर्तियों के माप-मान, पाषाण शोधन की पारंपरिक विधियाँ, और आगमिक मान्यताओं के अनुरूप शुद्ध मूर्ति निर्माण प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया। सुकृति कला केंद्र द्वारा निर्मित प्रामाणिक मूर्ति शिल्प को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने का संकल्प भी इस दौरान लिया गया।
प्रमुख वक्ता और विशिष्ट अतिथि :
संगोष्ठी में विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर शोधपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किए। इस अवसर पर प्रोफेसर मारुतिनंदन तिवारी (वीडियो रिकार्डिंग के जरिए) ,प्रोफेसर जयकुमार उपाध्ये दिल्ली, ब्र. जयकुमार निशान्त टीकमगढ़, डॉ नरेन्द्र कुमार जैन टीकमगढ़, राजेन्द्र जैन वास्तु विद इंदौर, ब्र. संदीप सरल बीना, इंजी. श्वेता जैन दिल्ली, प्रियंक जैन दिल्ली, पंडित विनोद कुमार जैन रजवांस, पंडित महेश जैन डीमापुर, शिशिर जैन दिल्ली , रुपेश जैन विदिशा, आकाश जी , डॉ योगानंद जी , प्रमोद जी , बेंगलुरु, पंडित मुकेश विनम्र गुड़गांव, डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य दमोह, मनोज जी, नवीन शास्त्री बेंगलुरु, मनु शर्मा दिल्ली, विशेष वर्मा जी, बलराम जी, सन्तोषरमण , सजल जैन जबलपुर, आयुष जैन सागर, डॉ प्रणव पुणे, राजुल रविचंद्रन आदि ने अपने शोधालेखों को प्रस्तुत किया।
प्रतिष्ठा के संदर्भ में प्रस्ताव पारित : अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद द्वारा प्रतिष्ठा मुहूर्त के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया, जिसे शीघ्र ही समाज के समक्ष प्रामाणिक संदर्भों सहित प्रस्तुत किया जाएगा। प्रतिष्ठाचार्यगण एवं शास्त्रीगण इस दिशा में पूरी सहभागिता देंगे।
श्रद्धा और समर्पण की मिसाल : कार्यशाला का सफल आयोजन इंजीनियर प्रियंक जैन, श्वेता जैन, आयुष जैन, श्रेष्ठा जैन एवं उनकी टीम के दीर्घकालिक परिश्रम का परिणाम रहा। कार्यशाला की उत्कृष्ट व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए सभी प्रशिक्षणार्थियों ने कहा कि – सैदपुर जैसे बीहड़ क्षेत्र में इतनी उत्तम व्यवस्था अपने आप में प्रेरणास्पद है।
शोध आलेखों का अनुकरणीय प्रस्तुतीकरण : कार्यशाला में उपस्थित आलेख वाचकों ने पीपीटी व संभाषण के माध्यम से जो प्रस्तुतीकरण किया वह ज्ञानवर्धक एवं अनुकरणीय रहा। प्रत्येक शोधार्थी ने जैन मूर्तिकला के शास्त्रीय एवं तकनीकी पक्षों को व्यावहारिक अनुभवों के साथ साझा किया।
सम्यक् जागरण का आह्वान : कार्यशाला संयोजक ब्रह्मचारी जयकुमार जी निशांत ने समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे इस ज्ञान को समाज तक पहुँचाकर विशुद्ध मूर्ति निर्माण, मंदिर निर्माण एवं प्रतिष्ठा विधि में शुभ और शास्त्रसम्मत परंपराओं को पुनः स्थापित करें। पूज्य मुनि श्री दुर्लभ सागर जी को सादर नमोस्तु करते हुए उन्होंने सभी सहयोगियों, विद्वानों और सेवाभावी कार्यकर्ताओं को साधुवाद अर्पित किया।
सैदपुर को मिलेगा मूर्तिकला केंद्र का दर्जा :
मुनि श्री दुर्लभ सागर जी महाराज ने घोषणा की कि सैदपुर को शीघ्र ही एक राष्ट्रीय मूर्तिकला केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। यह केंद्र न केवल जैन परंपरा की मूर्ति निर्माण तकनीकों का प्रशिक्षण देगा, बल्कि शोध, सृजन और संरक्षण का भी प्रमुख केंद्र बनेगा। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में पारंपरिक शिल्प के साथ आधुनिक तकनीकों का भी समावेश किया जाएगा।
आयोजन में अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद के शताधिक विद्वानों की गरिमापूर्ण उपस्थिति रही। इस मौके पर शास्त्रि परिषद का अधिवेशन व कार्यकारिणी बैठक का आयोजन भी किया गया । जिसमें विद्वानों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव व विचार रखे। आयोजन समिति द्वारा विद्वानों का सम्मान किया गया।

✍️ डॉ सुनील जैन संचय, ललितपुर
प्रचारमंत्री-शास्त्रि-परिषद

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