मानव जीवन में भावों का विशेष महत्व है -मुनिश्री विलोकसागर

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मानव जीवन में भावों का विशेष महत्व है -मुनिश्री विलोकसागर
आज से 11 मई तक होगी सिद्धो की आराधना

मुरैना (मनोज जैन नायक) मानव जीवन में भावों का विशेष महत्व होता है । हमारे मन में हजारों भाव प्रतिदिन आते जाते रहते हैं । भाव अच्छे भी आते हैं, भाव बुरे भी आते हैं। अच्छे भाव कम आते हैं, बुरे भाव ज्यादा आते हैं। यदि कोई अच्छा कार्य करने का भाव मन में आ भी जाए तो उसे क्रियान्वित करने में काफी अड़चनें आती हैं। कोई भी धार्मिक आयोजन विधान आदि कोई धर्मी, भाग्यशाली व्यक्ति ही कर सकता है । अधर्मी व्यक्ति तो कोई बहाना बनाकर भाग खड़ा होता है । अच्छे कार्य को पूर्ण करने में विघ्न बाधाएं आ सकती हैं। हमें दृढ़ संकल्प के साथ उन विघ्न बाधाओं को पार करते हुए अपने कार्य को पूर्ण करना चाहिए । उक्त उद्गार श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती बड़ा मंदिर में दिगम्बर मुनिश्री विलोक सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए ।
श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के पावन अवसर परमुनिश्री विबोधसागर महाराज ने कहा कि सिद्धचक्र विधान विधानों का राजा कहलाता है । प्रत्येक जैन प्राणी को अपने जीवन काल में एकबार अवश्य ही सिद्धचक्र विधान कराना चाहिए । भाव पूर्वक सिद्धों की आराधना करने से पापों का क्षय होता है, सांसारिक कष्टों का नाश होता है । वैसे तो कोई भी धार्मिक अनुष्ठान विधान आदि से मन को शांति मिलती है और शुभ परिणामों की उत्पत्ति होती है । इसलिए हमें सदैव शुभ परिणामों के साथ धार्मिक पूजा, पाठ, अनुष्ठान आदि करते रहना चाहिए ।
दिगंबराचार्य श्री आर्ज़वसागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री विलोकसागर महाराज एवं मुनिश्री विबोध सागर महाराज के पावन सान्निध्य में बड़ा जैन मंदिर मुरैना में आज से आठ दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान 04 मई से 11 मई तक होने जा रहा है । प्रतिष्ठाचार्य महेन्द्रकुमार शास्त्री, राजेंद्र जैन शास्त्री मंगरोनी ग्वालियर के आचार्यत्व में आज विधान का शुभारंभ हुआ । घटयात्रा एवं पचरंगी ध्वजारोहण के साथ विधान का शुभारंभ हुआ । भूमि शुद्धि, पंडाल शुद्धि, मंडप शुद्धि, सकलीकरण आदि सभी कार्यक्रम सम्पन्न हुए । रात्रि को शास्त्र सभा, गुरुभक्ति, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं आरती होगी ।

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