मन तो चंचल होता है। वह कहीं भी और किसी में भी लग सकता है – मुनि श्री विनय सागर जी

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अहिंसा ग्रुप द्वारा मानस्तंभ की महाआरती भारी वरसात मै सम्पन्न हुई एवं नगर के पत्रकारों का सम्मान भी किया गया,

भिंड नगर विराजमान मुनि श्री विनय सागर के सानिध्य मै
दशलक्षण पर्व के छठे दिन, मुनि श्री ने कहा जीवन में एक संयम और एक नियम तो होना ही चाहिये। मन के साथ शरीर को मत जोडो। अगर मन के साथ शरीर भी जुड़ गया तो फिर संयम का पालन करना असंभव हो जाएगा। ये बाते पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने सोमवार को कही। वे दिगंबर जैन धर्म के पावन पर्व दशलक्षण पर्व के छठे दिन मंदिर में भक्तो को संबोधित कर रहे थे । उत्तम संयम धर्म के रूप में मनाये गए छठे दिन उन्होंने कहा कि मन तो चंचल होता है। वह कहीं भी और किसी में भी लग सकता है। इससे संयम नहीं टूटता है। लेकिन मन के सहारे शरीर को भी आप वहां पर ले गये तो संयम का पालन होना मुश्किल होता है। जिस तरह से धनुष के ऊपर बाण लगाएंगे अगर उसे छोडेंगे तो ही वह निशाने पर जाकर लगेगा और अगर हम धनुष पर बाण चढाएंगे ही नहीं तो बाण छूटेगा कैसे। इसी तरह से जीवन में उत्तम संयम धर्म की पालना करनी है तो मन रूपी धनुष पर कभी भी शरीर रूपी बाण मत चढाओ। अगर ऐसा होगा तो जहां मन जा रहा है। वहां आपका शरीर जाएगा ही नहीं और जब शरीर वहां तक जाएगा ही नहीं जहां तक मन जा रहा है तो उत्तम संयम धर्म कभी नहीं टूट सकता। बता दें कि पर्युषण पर्व के छठे दिन शुक्रवार को सुगंध दशमी जैन समाज की ओर से मनाई गई। जिसमे पूजा सुबह की गई शाम को धूप चढ़ाई गई। सुगंध दशमी पर शाम 7 बजे अहिंसा ग्रुप द्वारा महावीर कीर्तिस्तम्भ परिसर में जमीन से 30 फीट ऊंचे मानस्तम्भ पर चारों दिशाओं में विराजित भगवान की महाआरती भारी बरसात मै सम्पन्न हुई  जिसमे सभी भक्तो को मिला मुनि श्री विनय सागर एवं छुलक श्री विधेय सागर जी का सानिध्य एवं मंगल आशीर्वाद आरती के पश्चात भिंड नगर के सभी पत्रकारों का सम्मान कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमे चातुर्मास कमेटी द्वारा पत्रकारों का सम्मान किया गया सभी पत्रकारों ने लिया मुनि श्री से मंगल आशीर्वाद, कार्यक्रम का मंच संचालन मनोज जैन पार्षद द्वारा किया गया

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