मैं कुछ हूँ का भाव त्याग करो, तभी मृदुता आ सकती है आर्यिका वर्धस्व नंदनी

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(तिजारा अलवर) चंद्र प्रभु दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा में वर्षायोग रत आचार्य श्री वसुनंदी महाराज की शिष्या आर्यिका वर्धस्व नंदिनी माताजी के सानिध्य में प्रबन्ध समिति द्वारा दस लक्षण महापर्व के अंतर्गत दस दिवसीय वृहद समवशरण महार्चना का आयोजन किया जा रहा है।जिसके अंतर्गत द्वितीय दिवस उत्तम मार्दव धर्म पर आर्यिका माताजी ने कहा कि उत्तम मार्दव यानी कोमलता, नम्रता एवं सौम्यता जब व्यक्ति के जीवन से क्रोध,क्रूरता,वैर विरोधी जैसी दुर्भावनाएं निकल जाती हैं। तब चित्त में इस धर्म का उदय होता है।
आर्यिका श्री ने समझाते हुए कहा कि मार्दव का विपरीत भाव है अहंकार, जब तक अहंकार अर्थात “मैं” का भाव रहता है।कि “मैं कुछ हूं” तब तक मार्दवता पूरी तरह आ नहीं पाती इसलिए देने के लिए दान, लेने के लिए सम्मान और त्यागने के लिए अभिमान सर्वश्रेष्ठ है।
जिस व्यक्ति के अंदर मैं का स्वर होता है उसके अंदर प्रेम पवित्रता मृदुता का स्वर नहीं होता। किंतु जहां मैं नहीं हम का स्वर होता है।वहां विनयादि समस्त गुण शोभा को प्राप्त होते हैं। आप वाणी में सुई भले ही रखो पर उसमें धागा डालकर रखो। ताकि सुई केवल छेद ही ना करें आपस में माला की तरह जोड़कर भी रखें। क्योंकि अभिमान की ताकत फरिश्तों को भी शैतान बना देती है और नम्रता साधारण व्यक्ति को भी फरिश्ता बना देती है। इसलिए सम्भलिये अहंकार के अंधकार में नम्रता, मृदुता, मधुरता का प्रकाश कीजिए जिससे आपकी आत्मा इन शाश्वत धर्म से सरोबार हो जाए।
प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष मुकेश जैन के अनुसार आर्यिका संघ के सानिध्य में क्षेत्र पर धर्म की गंगा प्रवाहित हो रही है। धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या व प्रांतीय अध्यक्ष पदम जैन बिलाला के अनुसार धर्म जागृति संस्थान राजस्थान प्रान्त द्वारा आयोजित अहिंसक आहार पोस्टर प्रतियोगिता की प्रदर्शनी फिरोजाबाद में भी प्रदर्शित की जाएगी।

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