महिलाओं व बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर दी जानकारी

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यमुनानगर, 21 अप्रैल (डा. आर. के. जैन):
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर सरकार द्वारा जोर दिया जा रहा है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। सिविल अस्पताल की डिप्टी सी. एम. ओ. डा. दिव्या मंगला ने बताया कि वर्ष 1948 से विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया: जाता है। लगातार बढ़ती बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हर साल वैश्विक स्वास्थ्य का एक अलग थीम रखा जाता है, जिससे सामुदायिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को जागरूक किया जाता है। इस वर्ष की थीम है मां और बच्चे को बीमारियों से बचाना जरूरी है, जिस पर भारत सरकार पहले से ही कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि हर साल लाखों महिलाएं गर्भावस्था व प्रसव के कारण अपनी जान गंवा देती हैं, जबकि 20 लाख से अधिक बच्चे अपने जीवन के पहले महीने में ही मर जाते हैं और लगभग 21 लाख बच्चे मृत पैदा होते हैं। सरकार का प्रण है कि 2030 तक मां और बच्चे को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बेहतर मातृ स्वास्थ्य का अर्थ है महिलाओं के अपने जीवन की योजना बनाने और अपने स्वास्थ्य की रक्षा करने के अधिकारों में सुधार करना। गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे का स्वास्थ्य तथा जीवन के पहले वर्ष में स्वस्थ विकास बहुत महत्वपूर्ण है। यह अवधि गर्भधारण, गर्भावस्था, जन्म, प्रसवोत्तर अवधि, शैशवावस्था और बचपन से कुछ वर्ष पहले आदि से शुरू होती है। गर्भावस्था और प्रसव का महिलाओं और उनके परिवारों के शारीरिक-मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक आर्थिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य परिवारों और समुदायों की नींव है, जो हम सभी के लिए एक आशाजनक भविष्य सुनिश्चित करने में मदद करता है। आज हर जगह महिलाओं और परिवारों को उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल की आवश्यकता है, जो जन्म से पहले, जन्म के दौरान और बाद में उन्हें शारीरिक और भावनात्मक रूप से सहारा दे। स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा बेहतर हेल्थ सिस्टम विकसित किया जा रहा है जिसका असर मातृ एवं नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
फोटो नं. 1 एच.
जानकारी देती डा. दिव्या मंगला……………….(डा. आर. के. जैन)

शाकाहार अपनाएं और जीवन को उज्जवल बनाएं – सुरेश पाल
यमुनानगर, 21 अप्रैल (डा. आर. के. जैन):
शाकाहार वास्तव में आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक धारणा है। यह गंभीर और चिन्तन का विषय है। संसार के सभी मनुष्य जीवन को पवित्र मानते है और कोई भी दूसरे जीव का हनन करने में सहमत नहीं होता। शाकाहार प्रणाली जीवों में ईश्वर का दर्शन कराती है, सबको नमन करती है, तब उसको हानि पहुँचाने अथवा खाने का प्रश्न ही नहीं उठता। योगाचार्य व पूर्व प्राचार्य सुरेश पाल ने बताया कि शाकाहार में जीवन की हिंसा न करके भोजन में शरीर को सात्विक रखने वाली चीजों को ही शामिल किया जाना चाहिए। मनुष्य के लिए शाकाहार है और शाकाहार के लिए मनुष्य है। शाकाहार वास्तव में एक परिकल्पना है। मनुष्य का जन्म हिंसा के लिए नहीं हुआ और न ही उसे किसी जीव-जन्तु, पशु की हत्या करने का अधिकार दिया गया है। मनुष्य सारे संसार में जीवन का संरक्षक माना जाता है। किसी जीव की अपने भोजन के लिए हत्या न करें। महात्मा गांधी शाकाहार के सबसे बड़े समर्थक हुए हैं, अहिंसा के प्रवर्तक ईसा मसीह के बाद गांधी जी सबसे बड़े परोपकारी थे। ब्रिटेन के बर्नार्ड शा तथा जर्मनी के तानाशाह हिटलर भी शराब व मांस से परहेज करते थे। फंस के प्रसिद्ध विचारक रोम्यां रोला भी निरामिष अहारी थे। गांधी जी के सम्पर्क से सरोजिनी नायडू व राजकुमारी अमृत कौर ने भी शाकाहार को ग्रहण किया। मनुष्य को मांसाहारी न होकर शाकाहार भोजन ही करना चाहिए। उन्होंने बताया कि मानवता में प्रेम, शान्ति, अहिंसा, करुणा, श्रेष्ठ गुणों का होना पाया जाता है। मानवीय गुण तथा खान पान में घनिष्ठ सम्बन्ध है। शाकाहार धर्मनिरपेक्ष एवं अहिंसा पूर्ण जीवन शैली का अंग है। शाकाहारी जीवन में मैत्री तथा मातृत्व के फूल खिलते हैं। शाकाहारी जीवन हमें शान्ति, कान्ति व स्नेह देकर हमारे जीवन की रक्षा करता है। हमारा जीवन केवल आहार से ही न जुडक़र एक चिकित्सा शास्त्र भी है। यह माना जाता है कि शाकाहारी भोजन सस्ता भी है और हमारे शरीर को निरोग भी बनाये रखता है। यही कारण है कि आज का समाज इसकी ओर आकर्षित हो रहा है। फिर भी आज के युवा वर्ग में इसके प्रति कुछ कम रुझान दिखाई पड़ रहा है और इस वर्ग का कुछ भाग मांसाहार की ओर बढ़ रहा है। जिसकी नींव निर्दयता और हिंसा बन गई है, ऐसे युवा वर्ग में शाकाहार के प्रति जागरूकता लाने की अति आवश्यकता है। उन्होंने आगे बताया कि जापान का एक अध्ययन हमें बताता है कि शाकाहार ही ऐसा माध्यम है जिससे मनुष्य की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन तथा निरोगी काया पाई जा सकती है। बाइबल के अनुसार शाकाहार जीवन ही उर्जा देता है और मांसाहार जीवन को मृत तुल्य बना देता है। पसीना शाकाहारी को ही आता है, शाकाहार की पवित्र भावना को समझे। लताएं और कलियां हमारी बहनें है पशु पक्षी हमारे भाई है और मौसम की ठंडक हमारा कुटुम्ब है तथा धरती हमारी मां और आकाश पिता है। आत्मा से सम्पर्क करने तथा भाव शक्ति के लिए केवल शाकाहार ही एक अनुपम उपहार है। शाकाहारी भोजन की ताकत को पहचानें और शाकाहार अपना कर अपने जीवन को उज्जवल बनाये।
फोटो नं. 2 एच.
जानकारी देते पूर्व प्राचार्य सुरेश पाल………………(डा. आर. के. जैन)

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