महाराष्ट्र में मासूम बच्चों को बनाया जाएगा मांसाहारी

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भारत की पूर्व संस्कृति है जो अज्ञान रूपी अंधकार से हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाएं वो ही पूर्व की संस्कृति कहलाती है। कहा भी गया है जैसा खावे अन्न वैसा होवे मन जैसा पीवे पानी वैसी बोले वाणी जी हां बच्चो के बचपन में जो सद संस्कार दिए जाते है वो पचपन की दहलीज तक पहुंचने के बाद भी ज्यो के त्यो बने रहते है। वैदिक ग्रंथों में भगवान राम ने वन जाकर में गुरुकुल में शिक्षा ली थी। वो मर्यादा पुरुषोत्तम से नाम से संसार में पूजनीय वंदनीय हुए। भरत के भारत देश में महाराष्ट्र सरकार ने दिनांक 7 नवम्बर 2023 को सरकारी निर्णय प्रकाशित करके स्कूल में कक्षा 1 से 8 वी तक के लाखो मासूम बच्चों को जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते है इनको भोजन में अंडा देने का फैसला किया है।मासूम बच्चों को उबले अंडे या अंडा पुलाव या अंडा बिरयानी सप्ताह में एक बार दिए जाने का निर्णय लिया है । अब ये निर्णय दिनांक 5 दिसंबर से लागू करने की कोशिश है ये निर्णय भारतीय संस्कृति के साथ कुठाराघात है। उन मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। आज उनको मांसाहारी अंडा दिया जायेगा कल वो मांस भी सेवन करने लेगेगै। सरकार को अंडे देने की जगह मगज के लड्डू दे देना चाहिए। ये एक सोची समझी शाकाहारी बच्चो को मांसाहारी बनाने की साजिश भी हो सकती है।किसानों के लिए मासूम बच्चों को मांसाहारी बनाना कितना उचित है।अब अपने धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए एक मजबूत सामाजिक संघर्ष बहुत जरूरी है।
प्रस्तुति
राष्ट्रीय मिडिया प्रभारी
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा राजस्थान 9414764980

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