साधना ओर योग का हुआ संगम पतंजलि साधना योग पीठ हरिद्वार उत्तराखंड में लाखो करोड़ो लोग बने साक्षी! औरगाबाद पियूश /नरेंद्र जैन अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज की उत्तराखण्ड के बद्रिनाथ से हरिद्वार तरुणसागरम अहिंसा संस्कार पदयात्रा चल रही हैं आज। तरुण सागरम तीर्थ अहिंसा संस्कार पद यात्रापतंजलि योग पीठ आश्रम हरिद्वार उत्तराखंड में चल रहा गुरुदेव अंतर्मना का त्रिदिवस प्रवास
गुरुदेव अंतर्मना आचार्य प्रसन्नसागर जी महाराज एवं उपाध्याय श्री पियूष सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से एवं पतंजलि योग पीठ के संस्थापक स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण जी के मंगल सानिध्य में पूर्ण हुआ विशेष आयोजन उभय मासोपवासी साधना महोदधि प.पू. अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर जी महाराज उपाध्याय श्री 108 पियूष सागर जी महाराज योग ऋषि स्वामी रामदेव आश्रम हरिद्वार उत्तराखंड प्रातः पूजन दीप आराधना हुई संपन्न तेलांगना कुलचाराम अतिशय क्षेत्र पारसनाथ से बद्रीनाथ-
बद्रीनाथ से ऋषिकेश-हरिद्वार,और हर की पैडी से पतंजलि होते हुए तरूण सागरम तीर्थ 27 जून को सुबह मंगल प्रवेश।साधना ओर योग का हुआ संगम पतंजलि साधना योग पीठ हरिद्वार उत्तराखंड में लाखो करोड़ो लोग बने साक्षी! योग ऋषि स्वामी रामदेव आश्रम हरिद्वार उत्तराखंड समस्त संघ कि संपन्न हुई आहारचार्य उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रहे हैं।भगत सिंह कोश्यारी जी पधारे एवं लिया गुरुदेव अंतर्मना से मंगलमय आशीष दूर दराज से आये गुरुदेव अंतर्मना के भक्तो ने भेंट किये स्वामी रामदेव एवं बालकृष्ण जी देश विदेशों के दुर्लभ फल आयुर्वेद केन्द्र पतंजलि योगपीठ से स्वामी बाबा रामदेव जी एवं आचार्य बालकृष्ण जी आचार्य गुरुदेव अंतर्मना प्रसन्न सागर ससंघ पतंजलि योग पीठ कि कई श्रखला ओ का भ्रमण एवं अवलोकन किया! योग ऋषि स्वामी रामदेव आश्रम हरिद्वार उत्तराखंड
अंतर्मना गुरुभक्त परिवार के द्वारा अष्टद्रव के सहित रूप से संपन्न हुई गुरुपूजन योग ऋषि स्वामी रामदेव आश्रम हरिद्वार उत्तराखंड
संपन्न संध्या गुरुभाक्ति प्रवचन मंगल आरती 23/05/2025 पतंजलि योग पीठ हरिद्वार उत्तराखंड में आहारचर्या संपन्न हुई उपस्थित गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि अगर तय है कि जो दिया है वो लोट कर आयेगा..तो क्यों ना — सिर्फ दुआ ही दुआ दी जाये…!
यूं तो् आकृति से सभी मनुष्य एक से होते हैं, हमशक्ल होते हैं, लेकिन प्रकृति और स्वभाव से सब भिन्न-भिन्न होते हैं। संसार में तीन तरह की प्रकृति वाले मनुष्य है। एक छोटा सा उदाहरण — रिक्शा चालक रिक्शा चला रहा है —
पहला आदमी — रिक्शे में सवार है। आगे चढ़ाव पड़ता है, रिक्शा वाला उतर कर रिक्शा खींचने लगता है, यह देखकर यात्री भी उतर गया। यह यात्री मनुष्य के रूप में देवता है। क्योंकि यह दूसरों के दु:ख को दूर करने के लिए अपना सुख छोड़ दिया। दूसरा यात्री चढ़ाव फिर आता है। रिक्शा वाला उतर कर रिक्शा खींचने लगता है, लेकिन यह यात्री उतरता नहीं है। कहता है भाई — बड़ी मेहनत की कमाई है। यह यात्री पशु के समान है, जो दूसरे के दु:ख के लिए अपने सुख को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।और तीसरा यात्री– चढ़ावा आता है, रिक्शा वाला रिक्शा खींचता है, पर उससे रिक्शा खिचता नहीं है। वह पसीना पसीना हो जाता है। रिक्शा चालक कहता है बाबूजी — ज़रा नीचे उतर आओ, बड़ी कठिन चढ़ाई है। अब चढ़ी नहीं जाती है। वो यात्री हँसता है और गुर्राकर कहता है। मूर्ख पैसे हराम के दिए क्या-? तू क्यों नहीं दम लगा के रिक्शा चलाता है-? यह यात्री शैतान है, आदमी के रूप में भेडिया है, इसे दूसरों की पीड़ा में भी आनंद आ रहा है।
यह कसौटी है अपने को परखने की। सोचिए आप क्या हैं-? आदमी अपने सत्कर्मों से ही चिर स्मरणीय बनता है। दीर्घ जीवन स्मरणीय नहीं होता है, अपितु स्मरणीय जीवन ही दीर्घ होता है। हम जीवन में सेवा कर पाएं या ना कर पाएं, परन्तु प्रातः परमात्मा से प्रार्थना रोज कर सकते हैं — हे परमात्मा! मेरे पैर अपंगो के पैर बन जाए। मेरी आँखें अंधों की आँख बन जाए। मेरे हाथ लूलो के हाथ बन जाए। दु:ख और सुख में संतप्त आंसू बहाते लोगों के लिए सांत्वना देने में वचनों का उपयोग हो। किसी गरीब या रोगी की सेवा में मेरा तन मन धन काम आये।यह प्रार्थना हर सुबह, हर व्यक्ति की जुबान पर होना चाहिए..इससे तुम्हारे जीवन को नई ऊर्जा और नई प्रेरणा मिलेगी…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद