महामंत्र के जाप से पापों का क्षय होता है -मुनिश्री शिवानंद

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स्याद्वाद युवा क्लब का णमोकार अनुष्ठान पूर्ण

मुरैना (मनोज जैन नायक) महामंत्र णमोकार के जाप से पापों का क्षय तो होता ही है, साथ ही जीवन सहज और सरल हो जाता है । इस महामंत्र में किसी व्यक्ति विशेष को नमस्कार न करते हुए उनके गुणों को नमस्कार किया जाता है । एड मंत्र में पांच पद और पैतीश अक्षर होते हैं । भाव पूर्वक प्रतिदिन संकल्प पूर्वक एक निश्चित संख्या में जप करने से ये मंत्र सिद्ध हो जाता है । आज आप सभी लोग इस मंत्र का संकल्प पूर्वक जप करने का वचन लें और अपने जीवन को सहज और सरल बनाएं । उक्त उद्गार श्री महावीर दिगंबर जैन नसियां जी मंदिर में पूज्य मुनिराज श्री शिवानंद जी महाराज ने णमोकार महामंत्र अनुष्ठान के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए ।
स्याद्वाद युवा क्लब मुरैना द्वारा युगल मुनिराज श्री शिवानंद जी एवम मुनिश्री प्रश्मानंद जी महाराज के पावन सान्निध्य में महामंत्र णमोकार मंत्र का 24 घंटे का अखंड पाठ का आयोजन किया गया था । उक्त पाठ के समापन पर प्रतिष्ठाचार्य राजेंद्र जैन शास्त्री आचार्यत्व में आज विधान एवम हवन आदि अनुष्ठान किए गए। अनुष्ठान के पश्चात श्री जिनेंद्र प्रभु की भव्य शोभायात्रा निकाली गई ।
हार, मुकुट एवम विशेष परिधान से सुज्जित इंद्रो द्वारा जिनेंद्र प्रभु की प्रतिमा को पालकी में विराजमान किया गया । सोभाग्यबती महिलाएं सिर पर मंगल कलश धारण किए हुए थी । महिलाएं एवम पुरुष मंगलगान करते हुए चल रहे थे । बालिकाएं डांडिया भक्तिनृत्य कर चलायमान थीं । शोभा यात्रा जैन बगीची, पुल तिराहा, अंबाह रोड पर भ्रमण करती हुई नसियां जी जैन मंदिर पहुंची । जहां पर प्रभुजी को पाण्डुक शिला पर विराजमान कर जलाभिषेक एवम शांतिधारा की गई ।
शोभा यात्रा के दौरान सभी बंधुओं ने अपने अपने दरवाजों पर रंगोली बनाकर एवम आरती उतारकर श्रीजी की अगवानी की । कार्यक्रम के पश्चात सभी के अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी ।
ज्ञात हो कि स्याद्वाद युवा क्लब का गठन अभी कुछ समय पूर्व ही किया गया है। क्लब के द्वारा जैन सिद्धांतों के प्रचार प्रसार एवम साधु संतों के आहार विहार में अहम भूमिका निभाई जा रही है । क्लब में लगभग 40 सदस्य हैं । सभी सदस्य प्रत्येक माह के एक रविवार को सामूहिक रूप में भारतदेश के किसी भी जैन मंदिर अथवा जैन तीर्थ पर श्री जिनेंद्र प्रभु के जलाभिषेक, शांतिधारा एवम पूजनादि करते हैं । मुरैना नगर में चातुर्मासरत युगल मुनिराजों के आहार, विहार एवम संयम की आराधना में इस क्लब की अहम भूमिका रही है।

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