महामहिम राष्ट्रपति जी को अपने देश में वन्यजीव संरक्षण,हाथियों की स्वतंत्रता संबंध में पवनघुवारा ने जन-याचिका पत्र भेजा

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5/8/2025 एकादशी दिवस/ प्रेस विज्ञप्ति में पवनघुवारा ने बताया कि जन-याचिका पत्र को मेल के माध्यम से भेजा आज सम्पूर्ण देश मे गहन चिंताएं हथिनी माधुरी को नादणी मठ से वंतारा में स्थानांतरित किए जाने के पश्चात व्यक्त की जा रही हैं। महामहिम राष्ट्रपति महोदय से जन-याचिका में पवनघुवारा ने उल्लेख किया है कि अपने देश में वन्यजीव संरक्षण,हाथियों का पालन-पोषण और मान्यता आधारित विचरण की स्वतंत्रता के संबंध में विशेष निम्न तीन बिन्दुओं पर नम्रतापूर्वक निवेदन है 1.कोल्हापुर महाराष्ट्र में पिछले 33 सालों से रहने वाली हथिनी माधुरी को मानवीय आधार पर पुनः नांदनी मठ में रखा जाए, जहां वंतारा की देखरेख भी रहे , हथिनी माधुरी की देखभाल और संरक्षण के लिए नांदनी मठ में आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएं। 2 .जिस देश की आत्मा ही करुणा और अहिंसा है,वहाँ हर जीव को उसका स्नेह और स्थान मिलना चाहिए। 3 .अपने देश में जहां भी हाथियों का मान्यता आधारित पालन-पोषण करते हुए विचरण है, हाथियों को महावत यथावत के साथ यथावत विचरण की स्वतंत्रता रहे और आवश्यक कानून नीतियां बनाई जाएं। पवनघुवारा ने पत्र में लिखा है कि महामहिम जी ,भारतीय संस्कृति और मानवीय भावनाओं का आदर और सम्मान किया जाए। हाथियों का अपने देश की संस्कृति में विशिष्ट स्थान है और उनकी देखभाल और संरक्षण के लिए हमें लगता है कि हाथियों के धार्मिक महत्व और मानवीय स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करना आवश्यक है। जहां  यह हथिनी नांदनी मठ में अपनी पुत्री की भांति देखभाल की जाती थी वहां आस्था आत्म विश्वास और मानवीय भावनाओं का केंद्र भी थी। महामहिम जी ,भारत में संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने बाले हाथी गांव नगर के गली कूचों में अब नही मिलेगा गोरतलब है क्यों कि यह PETA (पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) नामक संगठन ने जहां भारतीय कानून का सहारा लेकर हमारे हजारों साल पुरानी संस्कृति पर कुठाराघात करने का कार्य एक वृहद योजना बद्ध तरीके से किया जा रहा है,वंतारा” प्रोजेक्ट यदि वास्तव में पशु कल्याण का केंद्र होता,तो वहाँ उन जीवों को लाया जाता जिनके साथ क्रूरता हो रही हो, जो तस्करी में फंसे हों, या जो सड़कों पर असहाय घूम रहे हों। लेकिन वंतारा आपने अपने प्रोजेक्ट की ब्रांडिंग के लिए एक ऐसी हथिनी को चुना जो पूजनीय थी, सम्मानित थी, और स्वस्थ थी। क्या पशु प्रेम अब धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण का नया औजार बन गया है,क्या PETA India और वंतारा की मिलीभगत से केवल शांत, गैर-विरोधी धार्मिक संस्थाओं को निशाना बनाया जा रहा है ? क्या करोड़ों की मीडिया कवरेज पाने के लिए ऐसी भावनात्मक’ हस्तक्षेप योजनाबद्ध ढंग से बनाई गई? क्या किसी बॉलीवुड फिल्म में प्रयुक्त हाथी को कभी वंतारा में लाने की हिम्मत दिखाई गई ? क्या यह धन और नेटवर्क के बल पर धार्मिक भावनाओं की अनदेखी नहीं है ? बार बार सवाल आ रहा है कि PETA इस संगठन को बूचड़खाने जा रहे बैलों के प्रति सहानुभूति कभी भी नहीं हुई या उनके साथ नैतिक व्यवहार करने का मन नहीं किया और आज भी बड़े पैमाने पर गाय, बैल और बछड़े काटे जा रहे हैं इस संगठन को इस वध को रोकने के लिए कभी भी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय जाने का मन नहीं हुआ। महामहिम जी , नांदणी मठ का बहुत महत्व है।भारत के इस वृहद क्षेत्र मे जो महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर है। लगभग एक शताब्दी पहले,दिगंबर जैन मुनि यही वह क्षेत्र है जहाँ से आचार्य शांतिसागर, आचार्य आदिसागर अंकलिकर और आचार्य सन्मति सागर जी,आचार्य विद्यानंद जी,आचार्य विद्यासागर जी , आचार्य विराग सागर जी महामुनिराज का आविर्भाव हुआ,नांदणी मठ सेन गण से संबंधित है और आचार्य वीरसेन और जिनसेन की परंपरा से जुड़ा है। नांदणी मठ दिगंबर जैन परंपरा के संरक्षण के लिए उत्तरदायी है।
नंदनी महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में जैन समुदाय के 748 गांवों का प्राचीन मठ है। इस मठ का इतिहास लगभग 1200 वर्षों से है। इस मठ में जिनसेन भट्टरक स्वामी धर्म गुरु और राजा के रूप में सम्मानित मठ के रूप में कार्यरत हैं। महामहिम जी,अम्बानी जी का भी यह ट्रस्ट है जो हाथी पालता है और नंदणी मठ जहां हाथी रहता था वो भी ट्रस्ट है फिर एक ट्रस्ट के लिए न्याय और एक ट्रस्ट के लिए न्याय में यह अन्तर भी क्यों है विचारार्थ सविनय निवेदन।महामहिम जी,भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में दिए गए अधिकारों के अनुसार, नागरिकों को अभिव्यक्ति और अन्य स्वतन्त्रता प्रदान की गई हैं। इसी प्रकार, हमें लगता है कि हाथियों की स्वतंत्रता और उनके धार्मिक महत्व को भी सुनिश्चित करना आवश्यक है। जब देश भर में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम,1960
देश की पर्यावरण और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन्य जीवन, पक्षियों और पौधों से संबंधित है यह कानून ही सख्ती से लागू हो। सविनय प्रथमदृष्टया वर्णित तीनों बिन्दुओं पर जनहितार्थ सार्वभौमिक न्याय संबन्ध में मेल कि प्रति मा.प्रधानमंत्री, मा.राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पाटी,मा.राष्ट्रीयअध्यक्ष अखिल भारतीय काग्रेंस कमेटी,मा.नेता प्रतिपक्ष लोकसभा जी को भी नम्रतापूर्वक सविनय भेजी है। पवनघुवारा ने जन याचिका पत्र मे  विशेष प्रेषित जनों विभिन्न स्थानों से पत्र, समाचार पत्र, जो विचार विमर्श विभिन्न पहलुओं के सन्दर्भित व्यवहारिक सार्वभौमिक आधार भी सुनवाई योग्य हो सकते हैं सल्गंन किये है। लोगों के जीवन, परंपरा और अस्मिता का विषय है। मठ के पास इतना बड़ा वकील नहीं था कि वह प्रतिवादी के खिलाफ कोर्ट में खड़ा हो सके लेकिन जनतांत्रिक जनता मठ के पक्ष में है। परंपरा, लोक भावना और अस्मिता बहुत महत्वपूर्ण है,जन-याचिका पत्र के माध्यम से निवेदन है महामहिम जी आप तुरंत हस्तक्षेप करे ने कृपा करें।
पवनघुवारा भूमिपुत्र टीकमगढ़

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