महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रदान किया ज्ञानपीठ पुरस्कार

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नई दिल्लीः विज्ञान भवन में 16 मई को आयोजित एक भव्य और शानदार समारोह में वर्ष 2023 के 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा स्वतंत्र रूप से जगदगुरू रामभद्राचार्य और जाने-माने गीतकार गुलजार को प्रदान किए गए। अस्वस्थ होने के कारण गुलजार उपस्थित नही हो सके। समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारतीय ज्ञानपीठ से इस देश के ज्ञान और सृजन की मूलभूत एकता स्थापित और व्यक्त होती है। इस मंच से देश की अलग-अलग भाषाओं के उत्तम साहित्य को सम्मानित किया जाता है। साहित्य समाज को जोड़ता ही नहीं, जगाता भी है।
राष्ट्पति ने जगदगुरू रामभद्राचार्य को शाल, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र और सम्मान राशि का चेक प्रदान कर सम्मानित किया। ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कर प्रसन्नचित्त जगदूरु रामभद्राचार्य जी ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति भारत की दो मूल प्रतिष्ठाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, गुरुर्देवो भव और अतिथि देवो भव की परंपरा में राष्ट्र देवो भव को एक नई कड़ी के रूप में जोड़ा जाना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से प्रसन्न होकर उन्होने कहा कि जब तक पीओके नहीं मिल जाता तब तक हमें चैन नहीं मिलेगा। उनका कहना था कि इस देश को आतंकवाद से मुक्ति पानी है तो हमें श्री राम  की राह अपनानी ही होगी। भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना देश के जाने माने समाजसेवी, उद्योगपति, टाइम्स आफ इंडिया के स्वामी साहू शांतिप्रसाद जैन और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रमारानी जैन ने 1944 में की थी।
भारतीय ज्ञानपीठ के अध्यक्ष जस्टिस विजेंद्र जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रवर परिषद की अध्यक्ष प्रतिभा राय ने दोनों पुरस्कृत विभूतियों के अहम योगदान की जानकारी दी। डा. इंदु जैन ने प्राकृत अपभ्रंश में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। डा. प्रभाकिरण जैन ने संचालन किया। समारोह में ट्रस्टीगण साहू अखिलेश जैन, एसके जैन आईपीएस, स्वदेश भूषण जैन, नवभारत टाइम्स के कार्यकारी संपादक आशीष पांडे भी उपस्थित थे।
ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनंद अस्वस्थ होने के कारण शामिल नही हो सके। दक्षिण भारत के प्रमुख जैन तीर्थ मूडबद्री के भट्टारक चारूकीर्ति स्वामीजी के अलावा समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति के एल जैन पटावरी, सुभाष जैन-जज, सतीश जैन -एससीजे, सुखराज जैन सेठिया, सुभाष जैन ओसवाल, शरद कासलीवाल, डी आर जैन, प्रवीन जैन -बीडीएमपी, राकेश जैन, डा. के सोगानी, पवन जैन गोधा तथा नवभारत टाइम्स के पुराने साथियों में सुरेश जैन, प्रदीप जैन, स्वराज जैन, आलोक जैन, रमेश जैन एडवोकेट, शैलेंद्र जैन, पुनीत गोयल आदि सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। भव्य समारोह का शुभारंभ और समापन राष्ट्रगान के साथ गरिमापूर्ण तरीके से हुआ।
साथ ही 22 मई को मुंबई में ट्रस्टी साहू मुदित जैन, ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी और सचिव धर्मपाल तंवर ने श्री गुलजार को उनके निवास पर शाल, वाग्देवी की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र और सम्मान राशि का चेक प्रदान कर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। इस मौके पर श्री गुलजार के दामाद गोविंद संधु, फिल्म निर्माता विशाल भारद्वाज एवं उनकी पत्नी रेखा भारद्वाज व कईं साहित्य प्रेमी भी उपस्थित थे।
प्रेषकः रमेश चंद्र जैन एडवोकेट, नवभारत टाइम्स नई दिल्ली

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