महादेवी माधुरी(हथनी) वंतारा में नही नांदणी में होनी चाहिए:- संजय जैन बड़जात्या जैन धर्म से बड़ा कोई जीव प्रेमी नही हो सकता

0
1

क्या केवल पूरे भारतवर्ष में एक महादेवी उर्फ माधुरी हथिनी ही एकाकी जीवन जी रही थी या वह जंजीरों से जकड़ी हुई थी। कर्नाटक के अनेकों मंदिरों में ऐसे हाथी और हथनी बंधे हुए हैं उन पर पेटा के द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? उन्हें वनतारा में क्यों नहीं भेजा जा रहा है प्रश्न उठता है कि क्या जैन समाज जो कि विश्व में सबसे ज्यादा अहिंसक और जीव दया के प्रति अपनी भावना रखता है वह क्या किसी जीव को सता सकता है क्या उसके साथ अत्याचार कर सकता है।
1- मैसूर के महलों में बैलों से जकड़े हुए हाथी आपको देखने के लिए मिल सकते हैं। उन से पर्यटकों के माध्यम से व्यापार भी किया जाता है तो क्या वह पशु क्रूरता के अंतर्गत नहीं आते या सरकार को दिखलाई नहीं देती।
2- हाथी गांव जयपुर में अनेको हाथी पाले जाते हैं और उनके ऊपर साज बांध कर उन्हें व्यापार के लिए प्रयोग किया जाता है दूर-दूर तक ले जाकर उनसे सामाजिक धार्मिक आयोजनों में प्रदर्शन किए जाते हैं यहां तक की बारात में भी निकासी में हाथी का उपयोग किया जाता है क्या वह पशु क्रूरता नहीं है?
3- अनेको राजकीय कार्यक्रमों में हाथी के माध्यम से माला पहनाई जाती है। अभी कुछ दिन पहले जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में भी हाथी के द्वारा अतिथियों को माला पहनाने का कार्य किया गया और वह हाथी पक्के पर बंधा खड़ा रहा क्या यह पशु क्रूरता नहीं है?
4- अनेकों धार्मिक शोभायात्रा में हाथी के साथ-साथ घोड़े ऊंट बेल आदि का भी उपयोग किया जाता है तो क्या वह भी पशु क्रूरता है उस पर भी रोक लगनी चाहिए क्या केवल एक माधुरी पर ही क्रूरता हो रही थी।
वनतारा में माधुरी को भेज कर कोल्हापुर और नांदनी की जनता के साथ अन्याय किया गया है तो वहीं जैन समाज को भी कटघरे में खड़े करने का काम किया गया है।सरकार को अति शीघ्र माधुरी को पुन वापस नंदिनी क्षेत्र में भेज देना चाहिए यही हमारी मांग है।
संजय जैन बड़जात्या कामां

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here