मघा नक्षत्र पद्म और परिधि- शिव योग के संयोग में शनि अमावस्या 23 अगस्त को

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मुरैना (मनोज जैन नायक) इस वर्ष शनिचरी अमावस्या 23 अगस्त को मनाई जाएगी । हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत बड़ा महत्व है। क्योंकि इस दिन लोग बड़ी संख्या में पवित्र नदियों में स्नान कर हवन, दान – पुण्य करते हैं।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि अमावस्या तिथि पित्रों को भी समर्पित होने से खास बन जाती हैं । साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण पिंड दान करने से जन्म कुंडली में निर्मित पितृ दोष से मुक्ति मिलती हैं और परिवार में सुख शांति समृद्धि आती है ।
इस दिन शनि मंदिर पहुंचकर शनि प्रतिमा पर सरसों के तेल से अभिषेक दीपदान आदि करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा- अंतर्दशा से हो रही पीड़ा की शांति होती हैं।
जैन ने कहा इस समय कुंभ राशि वालों पर शनि की आखिरी साढ़ेसाती, मीन राशि वाले पर बीच की और मेष राशि वाले पर शिर पर आती हुई साढ़े साती चल रही है। वही धनु राशि और सिंह राशि वाले पर शनि की ढैया चल रही है। शनि को सभी ग्रहों में न्याय के लिए माना जाता है । ये व्यक्ति के कर्मों का हिसाब किताब करते है । यदि व्यक्ति अच्छे कर्म करता हैं तो शनि की दशा में उसे बहुत लाभ देते है यानी रंक से राजा भी बना देते है और जिनका कर्म खराब होते हैं उन्हें शनि की साढ़ेसाती, ढैया दशा में शनि खराब फल देकर कर्मों का हिसाब किताब चूकता कर देते है। शनि अमावस्या को इन राशि वालों को भी शनि साढ़ेसाती और ढैया से निजात पाने के लिए पवित्र नदी, तालाब में अथवा गंगा जल युक्त जल से स्नान करके शनि मंदिर पहुंचकर सरसों का तेल, काला वस्त्र, लोहा, जौं, काले तिल, सरसों आदि दान कर दीप दान आदि करना चाहिए।
जैन के अनुसार मघा नक्षत्र, पद्म योग, परिधि – शिव योग का संयोग इस वार 23 अगस्त शनिवार को बना हुआ है।अमावस्या तिथि 22 को दिन के 11:55 पर आरंभ होकर 23 अगस्त शनिवार को दिन के 11:35 बजे तक रहेगी। उदया तिथि 23 अगस्त शनिवार को होगी । इसलिए शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या पूरे दिन मनाई जाएगी।
जैन ने बताया इस वार पूरे विक्रम संवत् 2082 में अर्थात एक वर्ष में केवल एक ही बार शनि अमावस्या भाद्रपद कृष्ण पक्ष की 23 अगस्त शनिवार को रहेगी।

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