वर्तमान में माता पिता अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर दूसरे शहरों में या विदेश भेज देते हैं पढ़ने या नौकरी के लिए उससे वे बेचारे माँ बाप उनसे बिछुड़ जाते हैं और यहाँ तक वे बच्चे उसी जगह स्थापित हो जाते हैं .इससे माँ बाप को अपनी संतान का कोई सुख नहीं मिलता .शादी होने पर बहु का सुख नहीं उसे बाद नाती पोतों का सुख नहीं .बाद में सिर्फ फोटो ,मोबाइल के सहारे अपने बच्चों में सुखाभास मिलता हैं और मजे की बात आजकल एक दो संतानों के कारण बच्चों का होना या न होना एक बराबर होता हैं . कोई सुखद अनुभूति नहीं. बच्चों को नौकरी से अवकाश नहीं और उनके बच्चे होने पर उनकी पढाई का समय ,परीक्षा ,होम वर्क और बच्चे अपने वातावरण में ढलने के कारण उतना मनोकुल न होने से आने में कतराते हैं और वैसे ये सब वृद्धावस्था में होने से दो तीन पीढ़ियों का अंतर होने से भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता .कभी कभी माँ बाप को लगता हैं की हम निःसंतान हैं और पुत्रों को लगता हैं की लगता हैं की हमें नहीं लगता की हम किसी के पुत्र हैं वे सिर्फ अपने पिता बनने पर गौरवान्वित होते हैं ! यह कोई आश्चर्यजनक कथ्य नहीं हैं .जब संपर्क वर्षों न होगा तो यह अहसास जरूर होगा .
मध्य प्रदेश सरकार जिसे मनपसंद सरकार कहना अतिश्योक्ति नहीं होंगी ! कारण वर्तमान में आज शिक्षकों की कमी मात्र 66523 से अधिक है और मात्र 18 हज़ार स्कूलों में एक एक शिक्षक कार्यरत हैं ! यह बहुत सुखद अनुभूति देता हैं की हमारा प्रदेश लाखों छात्रों का भविष्य अपने माँ बाप के साथ सुरक्षित कर रहा हैं ! कारण जब छात्र पढेंगें नहीं तो उनकी बेरोजगारी की समस्या से मुक्त ,न रोजगार कार्यालय में पंजीयन होगा और न प्रदेश में कोई बेरोजगार नहीं रहेगा और न पढ़े लिखे होने से न शहर छोड़कर कही नहीं जाएंगे और न विदेश का चक्कर .कम से कम उनकी औलाद उनके पास रहेंगी और वे अपनी संतान को अपनी नज़र के सामने रखकर उनका सुख प्राप्त करेंगे ,उनके बच्चो का लालन पालन करेंगे .बच्चे अधिक क्या पढ़े लिखे नहीं रहेंगे तो उनकी कोई विशेष समस्या नहीं रहेंगी .आज कल पढ़े लिखे लड़कों की शादी मुश्किल से होती हैं और फिर तलाक की नौबत आती हैं .इनसे उनका परिवार बचा रहेगा
आज के समय शिक्षा बहुत सरल भी है और बहुत कठिन .कठिन यों की प्राइवेट में डालना हैं तो लाखों रूपए खरच करो और पढ़ते समय से ही अपनी संतान को बिदा करदो कारण जब पढ़ने बाहर भेजेंगे तो वे उसी समय से आपकी पहुंच से बाहर .और सिर्फ पढाई तक पैसों ,सुविधाओं का ख्याल रखे उसके बाद वे अपनी शादी अपना व्यापार या नौकरी के चयन का अधिकार उनका होता हैं इसमें कोई दखलनदाजी नहीं चाहिए .न शादी में और न नौकरी में . सरल ऐसी की सरकारी स्कूल में भर्ती हो जाओ तो वहां आपको खाना ,पीना मिलेगा ,किताबे मिलेंगी और आराम कारण न शिक्षक को पढ़ाना और छात्रों को पढ़ना .शिक्षक को बहुत अनेक दायित्व सरकार द्वारा सौपें जाते हैं चुनाव ,जनसँख्या .पशुओं की गणगा और जो सरकारी योजनाएं हैं उनका काम का दायित्व होता हैं और जब गांव में रहते तब खेती ,किसानी ,साहूकारी,डॉक्टरी ,नेता गिरी से फुर्सत मिले तब पढ़ाएं . कई शिक्षक एवजी में काम करते हैं या कराते हैं .
हाँ एक बात बहुत दूरदर्शिता की होंगी जो पढ़े नहीं रहेंगे उन्हें सरकार अपने संघ के कार्यकर्त्ता बनाकर उनसे देश सेवा का काम जरूर कराएंगी जिससे सत्ता पार्टी बहुत मज़बूत होंगी और उसके कार्यकर्त्ता बिना अधिक खरच के मिल जायेंगे . सरकार को मानव शक्ति मिल जाएँगी .हमारा नागरिक बाहर न जाकर प्रदेश के विकास में पूरा सहयोग देगा और हमें मजदुर कही बाहर से नहीं बुलाना पड़ेंगे.
शिक्षक विहीन स्कूलों के कारण हमारा सामाजिक ,राजनैतिक ,पारिवारिक आर्थिक विकास होगा और हमें अन्य राज्यों के ऊपर आश्रित नहीं होना होगा बल्कि हम दूसरे राज्यों में अकुशल मजदुर के रूप में भेजकर प्रदेश का विकास का सकते हैं .वैसे हम इस मामले में उत्तर प्रदेश झारखण्ड से ठीक हैं वहां की स्थिति और भी गंभीर हैं .
मनपसंद सरकार वर्तमान में जनता की सुविधाओं के लिए कार्यरत और चिंतित हैं .इस चिंता में शिक्षा विभाग का भी योगदान हैं देश प्रदेश के विकास में .इससे स्वच्छ भारत अभियान में सरकार को बिना पढ़े लिखे लोंगो की जरुरत पूरी करेंगी.
हमें विश्वास हैं की सरकार अगले वर्षों में शिक्षक विहीन स्कूल चालू करेंगी और सबको इंटरनेट के द्वारा पढाई कराकर अपना फ़र्ज़ पूरा करेंगी .और देश प्रदेश के विकास में पूरा योगदान देंगी. उस दिन का इंतज़ार हैं मनपसंद प्रदेश वासियों को .
विद्यावास्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् भोपाल 09425006753
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