अतिशयकारी है कँवला के नेमिनाथ भगवान, दर्शन कर अभिभूत है भक्त

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कँवला। एक ऐसी अलोकिक प्रतिमा जो कि भानपुरा मध्यप्रदेश से 10 km दूर ग्राम कँवला में स्थित अति प्राचीन दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र में विराजमान है। जहां मूलनायक नेमिनाथ भगवान है। जिसके दर्शन कर भक्त अभिभूत हो जाते है। ऐसा रामगंजमडी नगर के भक्त श्री कैलाश टोंग्या, अभिषेक लुहाडीया ने दर्शन कर बयाँ किया। उन्होंने बताया कि यहाँ दर्शन कर मन एक नई ऊर्जा से भर जाता है। मंदिरजी मे वर्तमान में जीर्णोद्वार चल रहा है। मंदिर जी की व्यवस्था को विशेष रूप से पदम सेठी, व विपिन सेठी देख रहे है। वहां मौजूद विपिन सेठी ने बताया कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार 108 मुनि श्री सुधासागर जी महाराज के आशीर्वाद से विख्यात वास्तुविद वास्तु सर मनीष विनायका रामगंजमडी के मार्गदर्शन मे हो रहा हैं। उन्होंने बताया कि यहाँ पर विराजित भगवान मल्लीनाथ की मूर्ति अलग ही तरह के पाषाण की मूर्ति है। यह जल को तुरन्त ही सोख लेती है।

विस्तृत रूप से बताते हुए कहा कि इस पर 23 तीर्थंकर भगवान के प्रतिमा नाम व चिन्ह अंकित है। लेकिन नेमिनाथ भगवान का अंकित नही है। ऐसा अन्यत्र कही देखने को नही मिलता ।
यह स्थान भानपुरा मध्यप्रदेश से 10 कि.मी. दूर गाँधीसागर रोड से डूब क्षेत्र में कँवला ग्राम में है। गांव के मध्य में स्थित पूर्वमुखी जैन मंदिर में मूलनायक भगवान नेमिनाथ चौबीसी सहित है। साथ ही भगवान मल्लीनाथ, भगवान वासुपूज्य, भगवान मुनिसुव्रतनाथ और भगवान चंदाप्रभु विराजमान है।

उन्होनें बताया कि मंदिर का निर्माण शिलालेख के अनुसार संवत 1653 है। शिलालेख पाली भाषा मे लिखा है, जो कि मंदिर में ही लगा है। मूलनायक नेमिनाथ भगवान की मूर्ति पर संवत 1600 अंकित है। इस मंदिर में मूर्ति कला का अद्भुत संग्रह देखने में आता है। यहां पर मंदिर के स्तंभों, छत के ऊपरी हिस्सों एवं मेहरापो पर मूर्तियां एवं नक्काशी का जोरदार काम है। मंदिर वास्तु कला का भी बेजोड़ अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूरी होती है। मंदिर से लगी हुई समाज की ही एक धर्मशाला भी है, मंदिर के पुजारी लक्ष्मीनारायण पंडित है। जो यहाँ की सेवा भक्ति समर्पित भाव से कर रहे है।

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