लाला लाजपत राय १९ वीं सदी के अंत और २० वीं सदी की शुरुआत में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. लाला जी पंजाब के साथ ही पूरे देश में एक ओजस्वी, वक्ता, लेखक, इतिहासकार, संपादक, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे. लाल बाल पाल की जोड़ी के लाल कांग्रेस के अंदर गरम दल के ओजस्वी नेता के रूप में काम करते रहे. उन्हें उनके स्वदेशी आंदोलन में योगदान और शिक्षा के प्रसार के लिए ज्यादा जाना जाता है. एक समाज सुधारक के तौर पर वे दयानंद सरस्वती के आर्य समाज से भी जुड़े और दलितों के वेद पढ़ने की इजाजत देने की भी पैरवी की.
लाला लाजपतराय का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक विशिष्ट स्थान रखता है. एक राजनेता, इतिहासकार, वकील और लेखक रहे लालाजी को पंजाब केसरी के नाम से जाना था जो अपने समय की मशहूर तिकड़ी लाल बाल पाल के लाला ने जीते जी तो स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया ही, उनकी मौत ने भी देश के युवाओं में आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित करने का काम किया. १७ नवंबर को देश उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहा है. उनकी मौत १९२८ में साइमन कमीशन के शांतिपूर्वक विरोध के दौरान हुए लाठीचार्ज से मिली चोटों के कारण हुई जिससे देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश भर गया था.
लाला राजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में २८ जनवरी १८६५ को अग्रवाल परिवार में हुआ था. उनके पिता मुंशी राधाकृष्ण आजाद उर्दू के शिक्षक थे १८८० में ही उन्होंने कलकत्ता और पंजाब यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा पास की. उनके पिता जब हिसार में रहने गए तब उनकी कानून पढ़ाई शुरू हुई. इसी दौरान वे आर्यसमाज के सम्पर्क में आए और फिर १८८५ में कांग्रेस की स्थापना के समय वे उसके प्रमुख सदस्य बने.
लाला लाजपत राय एक समाज सुधार भी थे जिन्होंने शिक्षा के लिए विशेष कार्य भी किए थे. समाज सेवा के लिए दयानंद सरस्वती से जुड़े जिन्होंने आर्य समाज की स्थापना की थी. उन्होंने पंजाब में आर्य समाज की स्थापना में अहम भूमिका निभाई. देश को पहला स्वदेशी बैंक लाला जी ने ही दिया था. उन्होंने ही पंजाब में पंजाब नेशनल बैंक की नींव रखी थी. उन्होंने दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों का भी प्रसार किया जो आज देश भर मे डीएवी स्कूलों के नाम से जाने जाते हैं.
साइमन कमीशन का विरोध
साल १९२७ में अंग्रेजों ने साइमन कमीशन भारत में वैधानिक सुधार के लिए भेजागया. इसमें एक भी भारतीय सदस्य नहीं था जिसकी वजह से कांग्रेस सहित पूरे देश ने विरोध किया. गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने पूरे देश में शांतिपूर्ण विरोध करने का फैसला किया. इसमें कांग्रेस के साइमन गो बैक का नारा देश भर में गूंज उठा. लाला जी ने पंजाब में इस विरोध प्रदर्शन का जिम्मा उठाया.
लाहौर में लालाजी पर लाठी चार्ज
पंजाब के लाहौर में लाला लाजपत राय ने इस कमीशन का विरोध किया और कमीशन को काले झंडे दिखाते हुए शांतिपूर्वक विरोध जताया. इससे बौखलाकर अंग्रेज पुलिस ने विरोध कर रही भीड़ पर लाठी चार्ज कर दिया जिसका नेतृत्व लाला लाजपत राय कर रहे थे. एसपी जेम्स ए स्कॉट के नेतृत्व में हुए इस लाठीचार्ज में लाला जी गंभीर रूप से घायल हो गए.
लालाजी की वह भविष्यवाणी
जख्मी लालाजी ने घायल होने के बाद कहा था कि उनके शरीर पर पड़ी एक एक लाठी ब्रिटिश राज के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी. इसके बाद लाला जी 18 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ते रहे और १७ नवंबर १९२८ को उनका देहांत हो गया. लाला जी की मौत से पूरे देश में आक्रोश फैल गया.
भगत सिंह और साथियों का बदला
लाला जी की मौत के बाद भगत सिंह, सुखदेव राजगुरू और चंद्रशेखर आजाद ने मिलकर ने लालाजी की मौत का बदला लेने के लिए स्कॉट की हत्या की योजना बनाई. लेकिन पहचान में गलती होने के कारण भगत सिंह, और राजगुरू ने जॉन पी सॉन्डर्स को गोली मार दी जो उस समय लाहौर का एसपी था. दोनों ने १७ दिसंबर १९२८ को उसे तब गोली मारी जब वह लाहौर का जिला पुलिस हेडक्वार्टर से बाहर निकल रहा था. जबकि आजाद ने उनकी भागने में मदद की.
लाला लाजपत राय अपने ओजस्वी वाणी के कारण पंजाब की आवाज बन चुके थे. पंजाब में लोग उन्हें बहुत मानते थे. यही वजह थी उनकी मौत का बदला भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों ने लेने का फैसला किया था. उनके इसी मान के कारण उन्हें पंजाब केसरी कहा जाता था. उनके सम्मान में देश और पंजाब में कई जगह स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान हैं.
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha