कुंडलपुर कमेटी पर नाराज होकर आचार्यश्री प्रसन्न सागर ने ससंघ विहार किया
औरंगाबाद नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल
तेलंगाना कुचाराम से बद्रीनाथ की यात्रा पर चल रहे आचार्य प्रसन्न सागर महाराज कुंडलपुर ट्रस्ट के पदाधिकारियों से नाराज होकर सोमवार सुबह 6 बजे अचानक विहार कर गए। वे रविवार को कुंडलपुर पहुंचे थे।
उनके साथ 16 मुनिश्री और आर्यिका माताएं भी थीं। बताते हैं कि आचार्यश्री को मंदिर में कमेटी के पदाधिकारियों ने प्रतिक्रमण (दो घंटे का ध्यान) नहीं करने दिया। जिस पर आचार्यश्री सुबह ससंघ के साथ बड़े बाबा मंदिर से दर्शन करने पहुंचे और वहां से विहार चालू कर दिया। इधर आचार्यश्री के विहार के बाद उनके साथ चल रहे सदस्यों से आवास खाली कराने के लिए कमेटी के सदस्य पहुंच गए। इस बीच हंगामा की स्थिति निर्मित हो गई। कई लोगों ने हंगामा का वीडियो वायरल कर दिया।
बताते हैं आचार्यश्री बद्रीनाथ की यात्रा पर हैं। वे संघ के साथ विहार कर रहे हैं। उन्हें कुंडलपुर में नए साल पर ससंघ एक जनवरी तक ठहरना था। इसके बाद संघ के साथ आगे की यात्रा पर निकलना था। उनके पहुंचने पर श्री दिगंबर जैन कुंडलपुर सिद्ध क्षेत्र कमेटी की बैठक हुई, मीटिंग के दौरान कुछ विषयों पर चर्चा हुई, जिस पर कमेटी के सदस्य असहमत हो गए और आचार्यश्री का दो घंटे का होने वाला
प्रतिक्रमण नहीं होने दिया। हैरानी की बात यह है कि आचार्यश्री उपवास पर थे और उनकी आहारचार्य होनी थी, लेकिन वे उपवास में ही बड़े बाबा का दर्शन करने के बाद विहार कर गए।
आचार्य प्रसन्न सागर महाराज के विहार संघ में शामिल अज्जू भैया ने बताया कि कुंडलपुर कमेटी के पदाधिकारियों ने आचार्यश्री का अपमान किया है। उनका दो घंटे का प्रतिक्रमण नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि मंदिर कमेटी के सदस्यों ने आवास खाली करा दिए और सभी को कुंडलपुर से जाने के लिए कह दिया। यहां तक कि आचार्यश्री की आहारचर्या भी नहीं हो पाई। क्योंकि उनका उपवास था और सोमवार को आहारचर्या होनी थी, लेकिन इससे पहले ही ट्रस्ट के पदाधिकारियों के व्यवहार से नाखुश हो गए। आचार्यश्री के संघ में शामिल जयपुर से आए मुकेश जैन ने बताया कि आचार्यश्री को नए वर्ष तक ठहरना था, लेकिन यहां के ट्रस्टियों ने विहार करा दिया। जवाब मांगने पर अच्छा व्यवहार नहीं किया। ठहरने के लिए चंदा मांगा जा रहा है। बड़े बाबा को चंदे की जरूरत नहीं है। इस संबंध में कुंडलपुर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष चंद्रकुमार सराफ से बात करनी चाही, तो उन्होंने मोबाइल बंद कर लिया और वे हटा में आचार्यश्री से माफी मांगने के लिए भी नहीं पहुंचे।
दमोह। आचार्य श्री ने ससंघ कुंडलपुर से विहार किया। हटा में आचार्यश्री से माफी मांगने नहीं पहुंचे।आचार्यश्री से माफी मांगने नहीं पहुंचे।
आचार्यश्री ने कहा- पद पर बैठे लोगों को अपना अतीत और औकात याद रखना चाहिए
आचार्यश्री प्रसन्न सागर महाराज।
इससे पहले आचार्यश्री ने प्रवचनों में कहा कि हम लोग बड़े भाव से यहां आए थे। बड़े बाबा के यहां पर नया साल मनाएंगे। मगर यहां आकर पता चला कि यहां के ट्रस्टी पूर्वाग्रह, पंथाग्रह, संताग्रह से कूट-कूट कर भरे हैं। उन्हें साधना नहीं दिखती। उन्हें दुराग्रह से मतलब है। उन्होंने कहा कि मैं यहां पर किसी को दोष नहीं दे रहा है, लेकिन ऐसे ट्रस्टियों को पद पर नहीं बैठना चाहिए। जिनमें व्यवहार नहीं हो। मैं यह बात संपूर्ण पदाधिकारियों से कह रहा हूं। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री विद्या सागर महाराज ने बड़े बाबा का ऐसा तीर्थ बनाया है, अच्छे-अच्छों की 100 पीढ़ियां मर जाएंगे, मगर ऐसा तीर्थ नहीं बना सकतीं, लेकिन गुरुदेव यह किन्हें सौंपकर गए हैं, यह विचार करने वाला प्रश्न है। गुरुदेव ने बड़े बाबा की मूर्ति स्थापित करने में पूरी जिंदगी की तपस्या लगा दी। एक मूर्ति को कुछ हो जाता तो देश खड़ा हो जाता। । मूर्ति स्थापित हुई तो पूरा विश्व यहां दर्शन करने आ रहा है। उन्होंने कहा कि पद पर रहने वाले को हमेशा अतीत और आकौत याद रखना चाहिए।
कुंडलपुर कमेटी के मंत्री और एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया
इस संबंध में कुंडलपुर मंदिर ट्रस्ट के समन्वयक आरके जैन ने बताया कि आचार्यश्री के साथ विहार करके आए लोगों ने 31 दिसंबर को एक भक्ति का कार्यक्रम रखा था। जबकि कुंडलपुर कमेटी की ओर से भी 31 दिसंबर को एक नाटक का कार्यक्रम रखा गया था। ऐसे में एक जगह पर दो-दो कार्यक्रम कैसे हो सकते थे। यह बात आचार्यश्री को बताई गई थी, ऐसे में आचार्यश्री विहार करके चले गए। हम लोग अभी हटा में आचार्यश्री से मिलकर आए हैं। ऐसी कोई बात नहीं है। कन्फ्यूजन थी, दूर हो गई है। हमने माफी मांग ली है। इधर आचार्यश्री से हटा में माफी मांगने पहुंचे जैन पंचायत के अध्यक्ष सुधीर कुमार जैन ने कहा कि हम दमोह वालों की गलती है कि हमने ऐसी कुंडलपुर कमेटी चुनी। इस बीच कुंडलपुर कमेटी के मंत्री और एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया। नरेन्द्र अजमेरा पियुष कासलीवाल