क्रोध कब करें और सहन कब करें: आचार्य प्रमुख सागर

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गुवाहाटी: पितामह भीष्म के जीवन का एक ही पाप था कि उन्होंने समय पर क्रोध नहीं किया। और जटायु के जीवन का एक ही पुण्य था कि उसने समय पर क्रोध किया। परिणाम स्वरूप एक को बड़ों की शरण मिली और दूसरे को प्रभु राम की गोद।अत: क्रोध भी तब पुण्य बन जाता है जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए। और सहनशीलता भी जब पाप बन जाती है जब वह धर्म और मर्यादा को बचा नही पाती है। यह उक्त बातें फैंसी बाजार के भगवान महावीर धर्म स्थल में चातुर्मार्सिक प्रवास के दौरान उपस्थित आचार्य प्रमुख सागर महाराज ने आज शुक्रवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही उन्होंने कहा की दरिया बनकर कर किसी को डूबने से बेहतर है कि जरिया बनकर किसी को बचाया जाए। श्री दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष महावीर जैन (गंगवाल )ने बताया कि आचार्य श्री के सान्निध्य में पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व 19 से 28 सितम्बर तक धर्मप्रभावना के साथ उत्साह पूर्वक मनाया जाएगा।इस अवसर पर 17 सितम्बर को फैंन्सी बजार स्थित श्री दि.जैन मंदिर एवं भगवान महावीर धर्मस्थल में आयोजित बड़ी प्रक्षाल कार्यक्रम के तहत मंदिर की चारों वेदियों एवं धर्म स्थल मे शांतिधारा पश्चात श्रीजी का मार्जिन कार्यक्रम संपन्न कराया जाएगा। पंचायत के मंत्री वीरेंद्र कुमार सरावगी ने बताया की इस अवसर पर आगामी 19 सितम्बर को प्रातः भगवान महावीर धर्मस्थल से आचार्य श्री ससंघ के सन्निधि में एक शोभायात्रा निकाली जाएगी।
तत्पश्चा धर्म स्थल मे झंडा रोहण के साथ दसलक्षण महापर्व एवं मौन संस्कार साधना शिविर का शुभारंभ होगा।वर्षा योग समिति के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश सेठी ने बताया की शिविर में भाग लेने वाले सभी शिविरार्थियों के लिए शुद्ध भोजन एवं फलाहार की व्यवस्था महावीर भवन धर्मस्थल के तीसरे तल्ले बाहुबली प्रांगण मे रहेगी। यह जानकारी समाज के प्रचार-प्रसार विभाग के सहसंयोजक सुनील कुमार सेठी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई।

सुनील कुमार सेठी
प्रचार प्रसार विभाग , श्री दिगंबर जैन पंचायत , गुवाहाटी (असम)

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