जयपुर। देशभर में शिक्षा नगरी के नाम विख्यात प्रदेश के कोटा शहर को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने छात्रों के साथ घट रही घटनाओं पर कहा की ” कोटा शहर छात्रो के लिए शिक्षा नगरी नही बल्कि चिंता और चिता नगरी बनकर रह गई है, ना शासन कोई कार्यवाही कर रहा है ना प्रशासन सुनवाई कर रहा है। वर्तमान सत्र में अब तक 50 से अधिक छात्र आत्महत्या कर चुके है और अब कोटा में आत्महत्या के साथ-साथ छात्रो की हत्या भी होने लगी है। जिसको लेकर देशभर का अभिभावक चिंतित है और लगातार न्याय व शिक्षा की भीख मांग रहा है लेकिन कोई समाधान देने को तैयार नहीं है।
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की देशभर से अभिभावक लाखों रु खर्च कर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए कोटा शहर के कोचिंग सेंटरों में दाखिला करवा रहे है, किंतु शिक्षा देने की बजाय कोचिंग सेंटर बदले में उन अभिभावकों को उनके बच्चों की अर्थिया दे रहे है। जहां पहले ही कोचिंग सेंटरों के दबाव में बच्चे पहले आत्महत्या कर रहे है वही अब कोचिंग सेंटरों द्वारा आपसी रंजिश की दी जा रही शिक्षा से छात्र आपस में लड़कर हत्या करने पर उतारू हो गए है। अभिभावकों की न्याय की गुहार के बावजूद हर बार शासन और प्रशासन अभिभावकों को दोषी ठहराकर अपना पल्ला झाड़ रहे है।
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की जहां पहले शिक्षा दान की जाती थी आज वह शिक्षा बिक रही है और जिन शिक्षकों को पहले गुरु कहा जाता था अब वह गुरु ना होकर बिजनेशमैन बन गए है ऐसी स्थिति में भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है, प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षित बनाना चाहता है उसका भविष्य सवारना चाहता है किंतु स्कूलों और कोचिंग सेंटरो ने इस शिक्षा को अपना व्यापार बनाकर अब अभिभावकों को लूटने के लिए शिक्षा को अपना हथियार बना लिया है साथ ही कमजोर और जरूरतमंदों को डराने के लिए अब इसे मौत का हथियार भी बना लिया है।
संयुक्त अभिभावक संघ विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा की कोटा में हो रही छात्रो की आत्महत्या और हत्या की शिकायतों पर मुखरता से आवाज उठा रहा है किंतु अभिभावकों को दबाने और धमकाने को लेकर अभिभावकों के सुझावों दरकिनार किया जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में स्कूल, कोचिंग संचालक, शिक्षक संगठन, शिक्षक, अभिभावक संगठन, अभिभावक, स्टूडेंट संगठन, स्टूडेंट, पुलिस प्रशासन और शिक्षाविद व चिकित्सों को लेकर एक कमेटी का गठन होना चाहिए, जिसमे संचालकों, शिक्षकों, अभिभावकों और स्टूडेंट की समस्याओं पर सुझाव लेकर निस्तारण किया जा सके। विगत एक वर्ष में संयुक्त अभिभावक संघ तीन बार राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को पत्र लिख चुका है। किंतु आजतक शासन और प्रशासन ने कार्यवाही नही की है।