कविता पर्यूषण पर्व पर विशेष शीर्षक.. आत्मशुद्धि का महापर्व

0
1

कविता पर्यूषण पर्व पर विशेष
शीर्षक.. आत्मशुद्धि का महापर्व
……… अजीत कोठिया डडूका
पर्वाधिराज पर्यूषण महा पर्व,
आत्म साधना का पावन पर्व।
धर्म के दश लक्षणों से सुसज्जित
अंतर्मन में झांकने का सुअवसर,
राग द्वेष कामादिक दुर्गुण,
त्यागने का मौका।
वर्ष भर देते रहते हम
अपने आप को धोखा।
स्वयं को सत्य, अहिंसा की कसौटी पर कसने का अवसर
देता ये पावन पर्व।
उत्तम क्षमा को अपनाए।
मार्दव, आर्जव,सत्य, शौच
संयम को अपनाए।
उत्तम तप, त्याग, आकिंचन्य
मन में बसाए।
उत्तम ब्रह्मचर्य आधारित जीवन अपना मन के विकार भगाए।
जीवन को पावन, निर्मल बना
क्षमा वाणी फैलाए
मिच्छामि दुक्कड़म सा
ब्रह्मास्त्र है जब हमारे पास,
तो आओ विश्व को विनाश से बचाएं।
विश्व शांति पथ प्रशस्त करने में,
परस्परोपग्रहों जीवनाम
भाव जन जन तक फैलाए
आओ रथोत्सव मना
जगत में खुशियों का
नव संचार करा जाए।
संवत्सरी ओर क्षमा वाणी
से सबको परिचित कराने
आओ भक्ति भाव से
पर्यूषण पर्व मनाए।
……. अजीत कोठिया डडूका बांसवाड़ा राजस्थान
9414737791

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here