कर्तव्यों का सम्यक निवर्हन ही सच्चा धर्म है: जैन साध्वी आर्यिका विभाश्री

0
1

कोडरमा-23 दिसंबर को श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर,झुमरीतिलैया के नव निर्मित जिनालय के प्रांगण में जैन साध्वी गणिनी आर्यिका 105 विभाश्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा- कर्तव्यों का पालन करने से धर्म का निर्वाह स्वयं हो जायेगा, क्योंकि मनुष्य का असली धर्म कर्तव्यों का निष्ठा के साथ पालन करना है।आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती ने गोम्मटसार जीवकाण्ड में बताया है कि सबसे पहले आप अपने कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करोगे और मंदिर में जाकर पूजन करने लगोगे तो आपकी गृहस्थी नहीं चल सकती।अगर आपने शादी की तो पत्नी , बच्चे का पालन पोषण करना आपका कर्तव्य है , यदि आप बहू है तो आपका कर्तव्य है परिवार के लिए भोजन बनाकर देना, स्त्री की प्रशंसा भोजन एवम् गृहकार्य से ही होती है। आजकल महिलाओं के लिए सबसे कठिन काम है भोजन बनाना ,जब आप चौके में भोजन नहीं बनाओगी तो अपना पेट कैसे भरोगी। सास का कर्तव्य है कि वह बहू को ज्यादा पाबंदी में न रखें । पिता का कर्तव्य है अपने पुत्र को पढ़ाना लिखाना योग्य – बनाना , हम घर गृहस्थी में रहते हैं तो हमारा शरीर के प्रति, संबंधों के प्रति,संपत्ति के प्रति क्या कर्तव्य है यह जानना अधिक आवश्यक है । सेवन करने के योग्य कौन सी वस्तु है और कौन सी वस्तु नहीं है क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए इसके लिए आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने बताया है की जो आपके लिए अनिष्ट है उसका त्याग करो हम दो चीज को देखे एक शरीर और दुसरी आत्मा आपके शरीर के लिए क्या – क्या अनिष्ट है ,स्वास्थ्य के लिए क्या हानिकारक है,क्या क्या लाभदायक है विचार करे तो समझ में आयेगा क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए, साथ ही जितने भी डॉक्टर है उनसे आप पूछोगे तो वो यही कहेंगे सोने के चार घंटे पहले शुद्ध और शाकाहारी भोजन करना चाहिए , ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए ।आज का आहार का सौभाग्य प्रदीप,बिनोद,मनोज,संजय अजय गंगवाल के परिवार को प्राप्त हुआ।संध्या में आनंद यात्रा और णमोकार चालीसा का पाठ हुवा।कल 24 दिसंबर को आर्यिका 105 विभाश्री माता जी ससंघ का पिच्छीका परिवर्तन कार्यक्रम दिन में 11 बजे बहुत ही भब्य रूप में होगा।कोडरमा मीडिया प्रभारी जैन राज कुमार अजमेरा,नवीन जैन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here