कर्म किसी को नहीं छोड़ता चाहे साधु हो या श्रावक हो, प्रवचन केसरी विश्रांत सागर महाराज

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दिगंबर जैन मंदिर ग्राम चौरई मध्य प्रदेश 21 अगस्त गुरुवार 2025
जैन मुनि प्रवचन केसरी विश्रांत सागर महाराज ने वर्षा योग में धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया
जिस प्रकार नदी के प्रवाह में बड़े-बड़े हाथी बह जाते हैं उस नदी के वेग में चूहों की क्या गिनती ? जिस कर्म ने तीर्थंकर जैसे महापुरुषों को नहीं छोड़ा वह हमें और आपको कैसे छोड़ सकता है?

आगे कहा है कि अपनों की पहचान सुखों के समय नहीं होती जो विपत्ति में साथ दे वहीं सगा अपना होता है
महाराज ने यह भी बताया कि कर्म की विडंबना बहुत भयंकर होती है मनुष्य हंस हंस के कर्म तो कर लेता है लेकिन जब उदय में आता है तो उन्हें भोगने के लिए बहुत रोता है बहुत चिल्लाता है बहुत गड़गड़ा है कि मुझे बचाओ मुझे बचाओ मुझे बचाओ लेकिन उसे बचाने वाला कोई भी नहीं होता उसे कर्म का फल भोगना पड़ता है
विपत्ति आना बहुत साधारण बात है विपत्ति आने पर अपने पराये का अनुभव होने लगता है
बुरे वक्त में कौन मेरा कंधा से कंधा लगा कर खड़ा था
महाराज ने यह भी बताया की सदैव बुरा वक्त भी रहने वाला नहीं है अच्छा वक्त भी रहने वाला नहीं है समय परिवर्तन शील है अच्छा बुरा वक्त समय के साथ आता जाता रहता है इसी का नाम संसार है
महाराज की धर्म सभा में आसपास के लोगों के भीड़ उमड़ती है
धर्म का लाभ प्राप्त करने जैन ही नहीं अजेन लोग भी पहुंच रहे हैं
शाय काल महा आरती में पूरा नगर के लोग पहुंचकर मुनि श्री की भव्य आरती कर रहे हैं
महावीर कुमार सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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