जोड़ों का दर्द दो प्रकार का होता हैं ,यह समझना बहुत आवश्यक हैं .एक को कहते हैं वातरक्त यानि गाउट .और दूसरा सन्धिवात यानी ऑस्टेओअर्थीराइटिस संधिगत कुपित वातसंधियों को नष्ट कर देता हैं .इसका मतलब उनकी स्वाभाविक क्रिया में विकार आ जाता हैं .कभीकभी संधि विच्युति भी हो जाती हैं और कभी कभी केवल क्रियाहानि मात्रा होती हैं .आम और अन्य दोषों के संपर्क से शोथ आदि विकार भी होते हैं जिसके कारण आवश्यक अनुकूल सिकुड़ने और फैलने का गुणहोता हैं ,वायु की विकृति से उक्त गुण नष्ट हो जाते हैं और रोगी इच्छानुसार विकृत संधि के प्रसारण और संकोचन में समर्थ नहीं होता हैं और प्रयन्त करने पर उनमे तीव्र वेदना का अनुभव भी होता हैं
अर्थराइटिस आज एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जिससे ज्यादातर बुजुर्ग लोग प्रभावित होते हैं। लेकिन ठीक तरह से खानपान न करने के कारण यह कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना लेती है। यहां कुछ ऐसे फूड्स के बारे में बताया जा रहा है जो अर्थराइटिस के कारण होने दर्द से आपको काफी हद तक आराम पहुंचा सकते हैं।
बदलते परिवेश में लोग आज कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होते हैं। यह बीमारियां लोगों को इतनी बुरी तरह प्रभावित करती हैं कि उनकी दिनचर्या भी इसके कारण ठीक तरीके से पूरी नहीं होती और वह इन्हीं सब समस्याओं में उलझे रहते हैं। एक ऐसी ही बीमारी का नाम अर्थराइटिस है जो ज्यादा बुजुर्गों को अपना शिकार बनाती है। दरaअसल, बुजुर्गों के खाने पीने की vचीजों में भी ऐसे खाद्य पदार्थों की कमी होती है जो शरीर के जोड़ों को मजबूत रखते हैं। अर्थराइटिस के कारण होने वाली दूर करने के लिए आप कुछ खास आहार को भी अपनी थाली में शामिल कर सकते हैं।
क्या है अर्थराइटिस का दर्द ?
यह एक ऐसा दर्द होता है जो असहनीय होने के कारण पूरे शरीर को तोड़ कर रख देता है। इस बीमारी को गठिया के नाम से भी जाना जाता है। शरीर के जितने भी जॉइंट पार्ट्स होते हैं जैसे की घुटना, कोहनी, कमर, एड़ी उन सभी जगहों पर असहनीय दर्द उठता है। यह दर्द हड्डियों के कमजोर हो जाने के कारण भी होता है और यही वजह है कि इसकी चपेट में ज्यादातर बुजुर्ग ही आते हैं। वहीं, अगर शरीर में कैल्शियम की मात्रा की कमी हो जाए तो युवा भी बड़ी आसानी से इसका शिकार बन जाते हैं। गठिया के रोगियों में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं।k
इसके लक्षण क्या हैं?
गठिया के लक्षण की अगर बात करें तो इस से पीड़ित होने वाला इंसान अपने शरीर के विभिन्न जोड़ों पर दर्द महसूस करता है। इससे पीड़ित होने वाले लोग अक्सर सुबह उठने के बाद घुटने पर सूजन और दर्द होने के कारण ठीक तरह से चल नहीं पाते हैं। इसके अतिरिक्त दर्द होने वाली जगह का रंग हल्का लाल हो जाता है। शरीर का जो हिस्सा गठिया की चपेट में आ गया है वह भारी लगने लगता है। वहीं, इससे जूझ रहे लोग जल्द ही किसी भी काम को करने के दौरान थक जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि इससे बचे रहने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनसे शरीर में जरूरी पौष्टिक तत्वों की पर्याप्त मात्रा को पहुंचाएं और इस बीमारी की चपेट में आने से आप को सुरक्षित रखें।
अदरक
अदरक का सेवन तो हम लोग नियमित रूप से अपने किसी न किसी खाद्य पदार्थ में करते ही हैं। वहीं, बहुत से लोग अदरक का सेवन चाय के जरिए भी करते हैं। दरअसल, अदरक का सेवन करने के कारण शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन का स्तर काफी कम हो जाता है जो अर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द से निजात दिलाने में सक्रिय रूप से कार्य करता है। इसलिए अर्थराइटिस के दर्द से परेशान लोगों को नियमित रूप से अदरक का सेवन जरूर करना चाहिए।
आलू का रस
आलू एक ऐसा फूड है जो आपकी बड़ी आसानी सभी लोगों के घर में मिल जाता है। बहुत से लोग इसका नियमित रूप से भी सेवन करते हैं और कुछ लोग कभी-कभी ही आलू को अपनी डायट में शामिल करते हैं। वहीं, आलू रस का सेवन करने वाले लोग अर्थराइटिस की चपेट में आने से बचे रहते हैं। इसका कारण यह है कि आलू के रस में शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालने का गुण पाया जाता है। इसलिए जो लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं वह लोग भी नियमित रूप से आलू के रस का सेवन करके गठिया के कारण होने वाले दर्द से काफी हद तक आराम पा सकते हैं।
हल्दी
जो हल्दी का सेवन नियमित रूप से करते हैं वह अर्थराइटिस की चपेट में आने से बचे रहेंगे। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन नामक एक ऐसा गुणकारी तत्व पाया जाता है जो जोड़ों पर होने वाले सूजन को कम करने के काम आ सकता है। आप चाहें तो हल्दी को गर्म करके इसे दर्द वाले स्थान पर लगा भी सकते हैं। यह आपको इसके दर्द से बचे रहने में काफी राहत प्रदान करेगा।
लहसुन
लहसुन एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो रोजाना हमारी सब्जियों में यह दाल में जरूर प्रयोग होता है। इसके जरिए भी गठिया के दुष्प्रभाव को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए भी मुमकिन हो सकता है क्योंकि लहसुन में एंटी इन्फ्लेमेटरी और पेन रिलीविंग गुण पाया जाता है। यह गुण गठिया में होने वाली सूजन को कम करने के लिए काफी प्रभावी माना जाता है। इस कारण जो लोग गठिया का शिकार हैं वो अपनी डाइट में लहसुन को शामिल करना न भूलें.
यहाँ यह जानना बहुत जरूरी हैं की आमवात और वातरक्त के इलाज़ में अन्तर होता हैं . आमवात में आमदोष का पाचन और आमविष का निष्काशन करना होता हैं
१ एरंड बीज ,छाल और एरंड तैल का उपयोग अकेले या साथ में करना चाहिए .काढ़ा —१५ से ३० मिलीलीटर ,और तेल १० से २० मिलीलीटर तक दे सकते हैं .
रास्नासप्तक क्वाथ और रासनादि क्वाथ २०मिलीलेटर सुबह शाम पानी से भोजन के बाद
वैश्वानर चूर्ण ३ग्राम सुबह शाम पानी से
योगराज गुग्गुलु १ से २गोली सुबह शाम पानी से
सैंधवादी तेल/महाविषगर्भ तेल स्थानिक प्रयोगार्थ
वातरक्त या गाउट में हमारे जोड़ों में सोडियम बाई यूरेट जमाजमा हो जाता हैं .इसकी चिकित्सा में वात को दूषित रक्त के लियर रक्त शोधक और वात प्रसाधक औषधियों का उपयोग करते हैं
नीम पत्र और पटोल पत्र का काढ़ा शहद के साथ देते हैं .
सिंहस्यादि क्वाथ १५मिलिलिटर सुबह शाम पानी से .
गुडूचायादि लौह .५०० एम् जी गुडची क्वाथ से सुबह शाम
कैशोर गुग्गलु २ २ गोली सुबह शाम पानी से
सारिवाद्यरिष्ट २० मिलीलीटर सुबह शाम पानी से
पिंड तेल स्थानिक प्रयोगार्थ
ये रोग साध्य हैं ,इसमें धीरज की जरुरत होती हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753
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