जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा अभियान को मिला मंगल आशीष परम पूज्य भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज का

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सहारनपुर उ० प्र०. भावलिंगी संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में ‘जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा अभियान’ के अन्तर्गत श्री दि० जैन महिला पंचान समिति, महिला समाज सहारनपुर के सौजन्य से ‘अहोभाग्य तीर्थ क्षेत्र’ वीर नगर जैन बाग सहारनपुर में ‘सम्मान समारोह का भव्य हर्षौल्लास के मंगलमय वातावरण में आयोजन किया गया। धर्ममयी सहारनपुर नगरी के 25 दि० जैन जिनालयों में किये गये निरीक्षण का परिणाम घोषित कर 10 चल शील्डे शोरमियान, जानकी धाम, दीनानाथ, छत्ता बारूमल, मदनपुरी आदि जिनालयों की संयोजिकाओं को प्रदान की गई। सभी 25 जिनालयों की संयोजिका को श्री अरुण कुमार जैन (कोषाध्यक्ष जैन समाज) एवं श्रीमति शशी जैन (शिरोमणि संरक्षिका) के सौजन्य से शील्डों द्वारा सम्मानित किया गया।श्रुत पंचमी पर्व पर आयोजित अखिल भारतीय जिनवाणी सज्जा प्रतियोगिता जिसमे 3671 संयोजिका ने अपने जिनालयों की सज्जित जिनवाणी के फोटो भेजे थे उसमें सहारनपुर की संयोजिका रीता जैन शोरमियान ने षष्टम एवं साधना जैन बड़तला यादगार ने नवम स्थान प्राप्त किया था उन्हें भी भूषण स्वरूप मुकेश कुमार जैन चैरिटेबल ट्रस्ट मेरठ के सौजन्य से शील्ड द्वारा सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय मीडिया पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार ने जानकारी देते हुवे बताया कि कार्यक्रम का कुशल संचालन डा० रेणु जैन (संस्थापिका जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा अभियान, अध्यक्षा महिला समाज) द्वारा किया गया । श्री राकेश जैन (संरक्षक), श्री राजेश जैन (अध्यक्ष) श्री अनिल जैन सी-ए. सभी ने डा० रेणुजैन अध्यक्षा, सरिता जैन महामन्त्री, शोभा जैन कोषाध्यक्षा के कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। विगत 35 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पारस जैन “पार्श्वमणी” पत्रकार ने बताया अन्त में भावलिंगी सन्त आचार्य श्री विमर्श सागर जी महाराज की अमृतमयी वाणी से सभी सीचित हुये। आचार्य श्री ने कहा कि तीन लोक में यदि माँ की संज्ञा है तो वह जिनवाणी को है। हम सब सन्तान है चाहे बेटा हो या बेटी, मुनिराज हो या आर्यिका, श्रावक हो या श्राविका – जिनवाणी माता बिना भेद‌भाव के सबको अमृत रस का रसपान कराती है। जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा का छोटा सा चिन्तन इतनी विशालता को प्राप्त हो गया है। 3671 संयोजिका व संयोजक एक साथ मिलकर माँ जिनवाणी की सेवा का कार्य जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा अभियान के अन्तर्गत कर रहे हैं- मैं बहुत प्रफुल्लित हूँ, आनन्दित हूँ आपके इस परिश्रम को देखकर । माता बहने जब कुछ करने की ठान लेती हैं तो निश्चित रूप से वे अपने उस अभियान में अवश्य सफल होती हैं। जिनवाणी सुरक्षा एवं सज्जा अभियान एक भारतवर्षीय सकल दि० जैन समाज को जोड़ने का बहुत सुन्दर प्रयास है। यह अभियान पुण्यशाली जीवों की खोज है जिनकी पंचम काल में जिनवाणी में रुचि है। जिनवाणी की विनय करने से अपने कर्मों का क्षयोपशम होता है। एक मात्र जिनवाणी ही है जो हमारी उन्नति कर हमें संसार के दुखों से पार लगा सकती है। आचार्य श्री ने सभी के लिये सन्देश दिया- शास्त्र विक्रय करना ज्ञानावरणी दर्शनावरणी कर्म के आश्रव बंध का कारण है। शास्त्र दान कहा गया है। शास्त्रों का प्रकाशन करें। वे शास्त्र सभी मुनि, आर्यिकाओं, श्रावक, श्राविकाओ तक पहुंचाये – यह कल्याण का मार्ग होगा। एक जिनागम पंथ पर चलते हुये मोक्षमार्गी बनो। अनाधि निधन जिनागम पंथ जयवन्त हो। जीवन है पानी की बूंद के रचयिता आचार्य श्री के मुख से भजन सुन सभी भाव विभोर हो गये ।”जिनवाणी नित देती ज्ञान, जिनवाणी हरती अज्ञान जिनवाणी अवधारण से, श्रावक मुनि बनते भगवान जिनवाणी सुख दुख का मार्ग बताये रे जीवन है पानी की बूंद कब मिट जाये रे , होनी अनहोनी कब क्या घट जाये रे ।।
जिनागम पंथ जयवन्त हो तथा आचार्य श्री विमर्श सागर जी महाराज की जय-जयकार से आकाश गुंजायमान हो गया जिनवाणी स्तुति के पश्चात सभा का विसर्जन हुआ। प्रस्तुति
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी
पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा
9414764980

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