*गौरेला।* *वेदचन्द जैन।*
वो चमक वो दमक वो मुस्कान वो महक अब हमारी यादों में है,हमारी कल्पना में है,संसार में कभी नहीं पा सकते, आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के गुणों,उनके व्यक्तित्व का उल्लेख करते हुए निर्यापक श्रमण श्री सुधासागर महाराज ने कहा कि महान व्यक्ति का नाम एक मंत्र होता है।
वो त्याग,वो तपस्या,वो साधना,वो ज्ञान,वो सरलता,वो सहजता,वो मुस्कान,वो मधुर वाणी,वो सम्मोहित करती आंखें, वो जन जन की समस्याओं का समाधान करती वो बातें,उनका सृजन,देश के प्रथम नागरिक हों प्रधानमंत्री हों अथवा साधारण जन सबके प्रति समान भाव,न किसी का आदर न किसी का निरादर,न किसी को बुलाना न किसी को भगाना,न किसी से राग न किसी से द्वेष असंख्य गुणों के धारी सुप्रसिद्ध दिगम्बर मुनि संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के युग में हमने जन्म लिया,उनके दर्शन किये,उनके उपदेश सुने,ये प्रमाण है कि हम सब परम् सौभाग्य शाली हैं। उनकी चमक उनकी दमक उनकी मुस्कान उनकी महक अब हम कभी नहीं देख सकते,केवल यादों में सहेज कर रख सकते हैं।
मध्यप्रदेश के दमोह नगर में आपने कहा कि महान व्यक्ति संसार से चले जाते हैं पुनः कभी नहीं आते मगर जो हम उनसे पाते थे वहीं उनके नाम लेने से उपलब्ध हो जाता है।महान व्यक्ति के जाने के उपरांत उनका नाम एक मंत्र हो जाता है।जिस श्रद्धा विश्वास और समर्पण से हम उनके दर्शन करते थे उसी श्रद्धा विश्वास और समर्पण से हम उनका नाम लें तो वहीं प्राप्ति होगी जो उनके साक्षात दर्शन से होती थी।उनके नाम की सिद्धि हमारा कर्त्तव्य है।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के कदम जिस पथ पर बढ़ जाते असंख्य कदम पीछे पीछे चलने लगते। गांव हो या नगर,निर्जन जंगल हो या महानगर के रास्ते, पक्की सड़क हो पथरीली राहें , आचार्य श्री कहां जा रहे हैं पता नहीं हमें तो बस पीछे चलते जाना है। जिस दिशा में उनके नयन उठते हजारों आंखें उस ओर निहारने लगतीं। मगर वो हजारों के इस मेले में भी अकेले होते आत्मलीन। अब हम ऐसे अद्भुत अद्वितीय दृश्य पुनः नहीं देख पायेंगे । तीन लोक की संपदा भी उनकी संपदा के सामने तुच्छ थी सम्यक रत्नत्रय से भरा था उनका साधना कोष।
*वेदचन्द जैन*