भगवान पार्श्वनाथ का जीवन संघर्ष में हर्ष की यात्रा- आचार्य श्री विमर्शसागर जी
सोनल जैन की रिपोर्ट – कृष्णानगर जैन मंदिर परम पूज्य दिगम्बर जैनाचार्य श्री विमर्शसागर जी मुनिराज के पावन सानिध्य में जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ स्वामी का 2800 वाँ निर्वाण महोत्सव अतिशय धर्म प्रभावना के साथ अनेकनिक आयोजनों के साथ सम्पन्न हुआ। प्राता 6:15 बजे जिनागम पंथी श्रावक संघ परिवार का 50 वाँ स्वर्णिम जिनाभिषेक सम्पन्न हुआ । 7:00 बजे भगवान पार्श्वनाथ स्वामी के 2800 वे निर्वाण महोत्सव के पावन प्रसंग पर भव्य पालकी शोभायात्रा निकाली गई। जिनमंदिर में भगवान पार्श्वनाथ का जिनाभिषेक, शान्तिधारा एवं भगवान पार्श्वनाथ की भव्य जिन पूजा और मोक्ष सप्तमी के पावन प्रसंग पर पूज्य आचार्य भगवन का मंगल प्रवचन हुए , पूज्य आचार्य भगवन ने अपने विश्व विख्यात जीवन है पानी की बूंद महाकाव्य भी निम्न पन्त्रियों से अपना व्याख्यान प्रारंभ किया। –
पार्श्व क्षमा की मूरत हैं, प्रभु समता भी सूरत हैं। दुखिया- सुखिया भक्तों की, प्रभुवर आप जरूरत हैं।। जो बैर बाँधे, इक दिन पछताय रे । जीवन है पानी की बूँद, कब मिट जाये रे ।।
आदर्श जीवन के लिये क्षमा गुण नींव की तरह कहा गया है। जिसप्रकार नींव के अभाव में भवन का निर्माण नहीं होता उसी प्रकार क्षमा के बिना आदर्श जीवन का निर्माण नहीं हो सकता। आज भगवान पार्श्वनाथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। भगवान पाश्वनाथ का सम्पूर्ण जीवन हमें संघर्ष में भी हर्ष की प्रेरणा देता है। कमठ का बैर और पार्श्वनाथ की क्षमा दस भव तक बनी रही। भगवान पार्श्वनाथ ने हर भव में क्षमा को अपने जीवन का आधार चुना और कमठ ने बैर भाव को चुनकर अपना जीवन दुखभय बना लिया । क्षमा गुण संकटों में भी सुख का संचार करता है, वैर जीवन में समस्त गुणों को स्वाहा कर डालता है। आज का दिन पार्श्वनाथ की मात्र पूजा का दिन ही नहीं अपितु उनकी पूज्यता के आधार – क्षमागुण को जीवन में अवतरित करने का दिन है। भगवान – पार्श्वनाथ की अर्चना से लोक में धन सम्पत्ति प्राप्त होती है और उनके आदशों से जीवन में आत्मधन की उपलब्धि होती है। शाम 6:30 बजे आचार्य वदना, टू डेज सोलुसन’ जिनागम पंथी श्रावक संघ द्वारा 251 दीयों से विशेष आरती एवं भगवान पार्श्वनाथ के जीवनवृत पर लघु सटिका मंचन किया गया।