ज़िन्दगी है तो – खेल तो चलता ही रहेगा.
परन्तु सवाल यह है कि आप जीवन से खेल रहे हो,
या खेल आप से खेल रहा है-? अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज औरंगाबाद उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा चल रहा है इस दौरान भक्त को प्रवचन कहाँ की
ज़िन्दगी है तो – खेल तो चलता ही रहेगा.
परन्तु सवाल यह है कि आप जीवन से खेल रहे हो,
या खेल आप से खेल रहा है-?
कुछ खेलों की शुरूआत खराब होती है लेकिन अन्त आनंद से सराबोर कर देता है,, और कुछ खेलों की शुरूआत अच्छी होती है लेकिन अन्त दुखद होता है। परन्तु हर खेल के सफर में कुछ ना कुछ सीख जरूर मिलती है।खेल – खेलने वाले के जीवन में अनुभवों का एक पृष्ठ ओर बढ़ जाता है।
जीवन हो या खेल का सफर, या व्यापार हो या परिवार, वैवाहिक जीवन का सफर हो या प्रेम की यात्रा, सफलता -असफ़लताओं से गुजर कर हम दुनिया को सकारात्मक सोच का कलेवा ही परोसें, जिससे सुनने, समझने, जीने और जानने वाले का हौसला बुलन्द हो सके। कोई भी सफर जब हम शुरू करें तो मन की प्रसन्नता, चित्त की एकाग्रता और हृदय की पवित्रता के साथ शुरू करें।फिर देखो सफलता की खुशी और प्राप्ती का आनंद कैसे आता है।
कार्य को करने का सिस्टम बनायें।
मन से पूर्वाग्रह, द्वेष और कषाय को दरकिनार करें।
शरीर में ऊर्जा को संगृहीत करें, कार्य करने का जुनून जगायें।
यदि आप पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर, नकारात्मक सोच के साथ कार्य कर रहे हैं, तो मानकर चलना सिर्फ और सिर्फ वक्त की बरबादी के अलावा कुछ भी मिलने वाला नहीं है। इसलिए ऊपर की तीन बातों को जाने और जीयें…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष