*पेण्ड्रा में नवीन जिनालय का भूमिपूजन*
*गौरेला*। *वेदचन्द जैन*।
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के सुयोग्य शिष्य पूज्य मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने कहा कि जिनालय की स्थापना से अहिंसा और करुणा का चारों दिशाओं में संचार होता है। मानवों के साथ पशुओं सहित सभी प्राणी इससे लाभान्वित होते हैं।
जैन समाज पेण्ड्रा (छत्तीसगढ़) में श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के भूमि पूजन के मंगल अवसर पर उपस्थित जैन व जैनेतर समाज जनों को संबोधित करते हुए श्री पूज्य सागर महाराज ने कहा कि जहां जहां भव्य जन होते हैं वहां वहां तीर्थंकर भगवान का स्वमेव विहार होता है। तीर्थंकर भगवान के मन में विहार के कोई भाव नहीं होते,ये भव्य जनों के सौभाग्य से स्वमेव ही हो जाता है। यहां पूरे समाज ने भगवान शांतिनाथ जिनालय के नवनिर्माण करने का संकल्प लिया है। पूरे समाज की एकता और उत्साह से ये संकल्प शीघ्र साकार होगा।
तीर्थंकर भगवान के विहार से जन जन,पशु पक्षी,फल फूल आनंद उमंग से भर जाते हैं।प्रकृति निखर जाती है,ऐसे ही जिनालय की स्थापना से समाज में सुख समृद्धि शांति व्याप्त हो जाती है। आज नवीन जिनालय के भूमि पूजन से भूमि दाता का परिवार प्रसन्न हैं, भूमि पूजन का पुण्यार्जक परिवार प्रसन्न हैं,पूरा नगर प्रसन्न हैं और हम दोनों मुनि महाराज भी प्रसन्न हैं।
स्मरणीय है कि मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज और मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में पेण्ड्रा नगर की जैन समाज ने श्री सिद्धचक्र महिमा महामंडल विधान संपन्न किया। प्रतिष्ठाचार्य मनोज भैया ललितपुर के संचालन में विधान विधिपूर्वक सोल्लास पूर्ण हुआ। मुनि द्वय की प्रेरणा से उत्साहित होकर समाज में व्याप्त मनोमालिन्य त्यागा और समाज एकसूत्र में आबद्ध हुआ।परिणामत: नवीन जिनालय के निर्माण का सर्वसम्मत निर्णय लिया और मुनि द्वय के सानिध्य में यथाशक्ति दान के माध्यम से जिनालय के निर्माण के लिए चार करोड़ से अधिक की राशि की घोषणा हुई।जैन समाज ने पत्थर की शिलाओं से नवीन जिनालय के निर्माण का निर्णय लिया। जिनालय के लिये बाहर हजार वर्ग फुट भूमि राकेश जैन शकेरा परिवार ने दान में दी। भूमि पूजन का पुण्यार्जन का सौभाग्य जिनेन्द्र जैन सरदार के परिवार ने प्राप्त किया।
भूमि पूजन के पावन अवसर पर जैन समाज गौरेला,जैन समाज खोडरी के साथ पेण्ड्रा नगर के जैन जैनेतर गणमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम संपन्न होने के उपरांत मुनि संघ श्री पूज्य सागर महाराज और मुनि श्री अतुल सागर महाराज ने कोतमा नगर की ओर गमन कर दिया।
*वेदचन्द जैन*