जिनालय में लड़ाई झगड़ा करने वाला कभी सुखी नहीं रहता /जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज/

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26 जुलाई शनिवार 2025
णमोकार मंत्र के विधान के तेरहवें रोज शांति वीर धर्म स्थल पर नित्य नियम पूजन शांति धारा भगवान का पंचामृत अभिषेक से क्रिया प्रारंभ हुई
जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज ने बताया कि भव-भव में अज्ञानता के कारण ही मनुष्य भटक रहा है मंदिर में मनुष्य पापों का त्याग करने आता है और अपनी आत्मा में धर्म ग्रहण करता है वहां पर भी राग राग द्वेष के कारण लड़ाई झगड़ा करके धर्म करने वालों के बाधा उत्पन्न पहुंचाने वाला व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता
मुनि ने यह भी बताया कि अपने नाम के पीछे अपने पद के पीछे जिनालय में झगड़ा करना एक अच्छा कार्य नहीं है मनुष्य की दृष्टि बहुत गलत हो गई है बाहर तो बहुत अच्छी-अच्छी बातें करते हैं और मन के अंदर छल कपट गंदे विचार राग द्बेष की भावना भरी हुई है जब तक अपने परिणामों को शुद्ध नहीं करेगा तब तक उसका मंदिर जाना एक दिखावा मात्र है
वह मनुष्य अपनी आत्मा के साथ स्वयं ही धोखा कर रहा है

जितने बड़े-बड़े संत महात्मा हुए हैं उन्होंने पहले राग द्बेष का त्याग किया है तभी ऊंचे आसन पर आज विराजमान है लोग इसीलिए संतों की महात्माओं की पूजन करते हैं पूजा करते हैं उनका विनय करते हैं उनके गुणों को पूजा जाता है
यह संसार दुखों का बहुत बड़ा सागर है इस पार होने के लिए संतों के द्वारा बताए मार्ग पर ही चलना होगा नहीं चलने पर जीवन का पतन का कारण बनेगा मुनि ने कहा कि नदी बहुत छोटी रहती है उनका अस्तित्व रहता वही नदी समुद्र में जाकर मिलती है उस नदी का अस्तित्व समाप्त हो जाता है उसी प्रकार मनुष्य की पहचान धर्म ध्यान करने से लोग उन्हें धर्मात्मा के नाम से जानते हैं पुकारते हैं वही धर्म से विपरीत मार्ग पर चलने
धर्म मार्ग पर आने वाले को रोकता है
अपने गलत विचारों से भ्रमित करता है धर्म में रुकावट बनता है उस मनुष्य का तीन काल में भी कल्याण नहीं हो सकता ऐसा मनुष्य धर्म से
स्वयं की पहचान समाप्त कर रहा है
इसमें किसी का दोष नहीं है स्वयं ही करता और स्वयं ही धरता है
अपने स्वयं का पतन का कारण ही अपना अभियान मुनि ने बताया

अपने नाम का बहुत बड़ा महत्व होता है
प्रसिद्ध सागर महाराज ने धर्म सभा में बताया पहले के लोग परिवार में जन्म होने पर लड़के लड़कियों नाम शुभ रखते थे महावीर पारस राम लक्ष्मण लड़कियों का नाम त्रिशला कृष्णा सीता अंजना मैना नाम से उन्हें पुकारा जाता था ।
जैसे नाम वैसे उन्हें गुण होते थे उन्हें पूजा जाता था इसीलिए पहले के लोगों ने अपने पुत्र पुत्रों के नाम भगवान के नाम से जोड़ना प्रारंभ किया महावीर ने अपने संदेश में बताया जियो और जीने दो
भगवान के बताए मार्ग पर ही आज मनुष्य को चलना चाहिए तभी उसे शांति प्राप्त होगी
पेड़ तो बहुत रहते हैं उन पेड़ों में भी फलदार छाया दार वृक्ष के नीचे ही
मनुष्य रुकना रहना पसंद करता है
जामुन का पेड़ फल भी देता है और छाया भी देता है इसीलिए राह चलता मनुष्य उसकी शरण में धूप से बचने के लिए फल खाने के लिए शरण लेता है अच्छे व्यक्ति से सभी लोग मेलजोल बढ़ाते हैं दुर्जन व्यक्ति से सब लोग दूर हो जाते हैं
भगवान का दीप प्रज्वलित करता परिवार श्री इंद्र कुमार मुकेश कुमार जैन मित्तल परिवार वर्षा योग समिति ने स्वागत सम्मान किया
महावीर कुमार सरावगी
चातुर्मास प्रचार मंत्री

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