“जीवन है एनी की बूंद” महाकाव्य के मूल रचियता, जिनागम पंथ प्रवर्तक आदर्श महाकवि भावलिंगी संत आचार्य श्री 108 विमर्शसागर जी महामुनिराज ससंघ 25 पीछीधारी साधु साध्वियों सहित मुरैना नगर में नव निर्मित श्री ज्ञान तीर्थ ” पर पद-विहार करते हुए पंहुचे। तीर्थ क्षेत्र पर प्रवेश से पूर्व ही मुनिश्री सोमदत्त सागर जी महाराज आचार्य संघ की आगवानी करने हेतु पहुँचे। श्री ज्ञान तीर्थ पर निवासरत ब्रह्मणारेगी अनीता दीदी सहित क्षेत्रीय समिति ने एक दिन पूर्व ही आचार्य श्री के पावन चरणों में क्षेत्र पर पधारने हेतु विनम्र निवेदन किया। 20 दिसम्बर की प्रातः बेला में आचार्य श्री ने अपने चतुर्विध संघ सहित पधारकर सकल समाज को अपना मंगल शुभाशीष प्रदान किया। भावलिंगी संत आचार्य श्री की जिनागम पंथ प्रभावना यात्रा जन्मभूमि जतारा से अतिशय क्षेत्र श्री तिजारा जी के लिए चल रही है। आचार्य श्री अपने विशाल चतुर्विध संघ सहित अपनी पद-रज से नगर-शहरों को पवित्र करते हुए सतत् तिजारा जी अतिशय क्षेत्र की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं। मार्ग में आने बाले श्री अहार जी, पपौरा जी, करगुवाँ जी, सोनागिर जी आदि क्षेत्रों की बंदना करते हुए अज मंगलवार को श्री ज्ञानतीर्थ पर पधारे। आगामी 24 दिसम्बर 2013 को आचार्य श्री महानगर आगरा में प्रवेश करेंगे। श्री ज्ञान तीर्थ पर आचार्य श्री की प्रवचन सभा के प्रारंभ में श्री दिगम्बर जैन परिषद आगरा के मध्यात श्री जगदीश जैन “अधाक्ष” के नेतृत्व में बाफन दिगम्बर जैन समाज आगरा ने आगरा नगर प्रवेश एवं आगरा में शीतकालीन प्रवास हेतु निवेश्व किया। साथ ही धौलपुर जैन समाज के भी आचार्य श्री के के चागों में धौलपुर नगर आगमन हेतु शुरु चरणों में विनम्र निवेदन किया !
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