जिन वचनों से आत्मा का कल्याण हो वह वचन हितकारी है

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26 जुलाई शुक्रवार प्रातः काल 8:30 पर
महावीर जिनालय में वर्षा योग कर रहे जैनाचार्य श्रुतेश सागर महाराज ने धर्म सभा को बताया यह
मनुष्य का शरीर जिनक्षिण होने पर समाधि मरण कर उसे छोड़ना चाहिए समाधि होने पर 7 से 8 भव में मुक्ति होना मृत्यु व समाधि मरण में बहुत अंतर मुनि ने बताया समाधि मरण साधु संतों का होता है मृत्यु साधारण व्यक्ति की होती है
गाय माता छोटे-छोटे बच्चों को अपना दूध पिलाकर पालतीहै खुद सूखा भूसा खाती है इस गौ माता को आज बूचड़खाने में काटा जा रहा है गांय की रक्षा के लिए सदैव हर प्राणी को तैयार रहना चाहिए
मुनि ने बताया
जिन वचनों के द्वारा अपनी आत्मा का कल्याण हो वह वचन हितकारी होते हैं मुनि ने बताया की पानी को सदैव छानकर पीना चाहिए अनछने पानी में असंख्य जीवों का घात होता है उस पानी के पीने से पाप कर्म का उदय बनता है
आज का मनुष्य कर्म हंसते-हंसते करता है जब कर्म का उदय आता है जीव बहुत घबराता है कर्मों को भगवान महावीर भगवान पारसनाथ भगवान आदिनाथ को भी नहीं छोड़ा फिर साधारण व्यक्ति कर्म से कैसे बच सकता है
धर्म सभा से पूर्व दीप प्रज्वलित प्रेम कुमार बोहरा महावीर कुमार सरावगी के द्वारा किया गया
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता महावीर कुमार जैन सरावगी

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