प्रवचन
झुमरीतिलैया-जैन मंदिर के बगल प्रांगण में प्रवचन की श्रंखला में आज प्रातः
जैन साध्वी गणिनी पूज्य आर्यिका श्री 105 विभाश्री माता जी के परम आशीवाद से पूज्य आर्यिका श्री 105 विनय श्री माता जी ने अपने प्रवचनों में बताया कि – जब अपने ऊपर कोई विपत्ति आये, कष्ट आये, दुःख आये तो याद रखना ” सबके दिन एक से नहीं होते और सब दिन एक से नहीं होते” जिस प्रकार सुख हमारे साथ हमेशा नहीं रहता ,उसी प्रकार दुख भी हमेशा नहीं रहता है। जीस प्रकार रात के बाद दिन जरूर आता है। उसी प्रकार दुख के बात सुख जरूर आता है। हमें यदि अपने जीवन का सूख मय बनाना है, कष्टों को दूर करना है तो प्रतिदिन हमें जिनेन्द्र भगवान की पूजा और गुरुओं को आहार दान देना चाहिये। दान ओर पूजा ये श्रावक के दो मुख्य कर्तव्य है।यदि हम प्रतिदिन दोनों कार्य करते है तो नियम से हमें स्वर्ग लोक या देव गति की प्राप्ति होगी।
हमें अपने जीवन को सार्थक बनाना है तो अपना अधिकांश समय धर्म कार्यों में भगवान की भक्ति में लगाता चाहिये। शराब रूपी मदिरा का नशा तो सुबह पियोगे तो रात में उतर जाता है, लेकिन मोह का नशा ऐसा नशा है जो जीवन के अंत समय तक नहीं उत्तरता है और जीवन भर अपने भोग खाने-पीने में संजने सँवारने में घूमने-फिरने में सारा जीवन व्यतीत कर देता है और जीवन में अपनी आत्मा के कल्याण के लिये कुछ नहीं कर पाता है। इसलिए अपने जीवन में हमेशा अच्छा कार्य और अच्छा सोच रखना चाइये जिससे आप के जीवन मे सुख और शांति मिलती रहे ,लोग सुख खोजने पूरी दुनिया मे घूमते है मगर आप के जीवन के सुख आप के अंदर आत्मा में विराजमान है।अच्छा कार्य से सुख का अनुभव होता है और बुरे कार्य से दुख ही मिलता है।संध्या में प्रतिदिन आनंद यात्रा णमोकार चालीसा के साथ भब्य आरती ओर भजनों का कार्यक्रम हो रहा है ।कल 26 दिसंबर पोष कृष्ण सप्तमी को आर्यिका ससंघ के सानिध्य मे जैन धर्म के आठवे तीर्थंकर 1008 श्री चंदप्रभु ओर 1008 श्री पार्श्वनाथ भगवानक जन्म कल्याणक महोत्सव दोनों जैन मंदिर में मनाया जाएगा।
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