संस्कार जीवन को सफल एवं सुरक्षित बनाते हैं सुज्ञानमती
पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा में आयोजित शिक्षण शिविरों में 1000 से ज्यादा बच्चों ने लिया भाग
खुटी/- परम पूज्य आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज के जन्म दिवस के पावन अवसर पर पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा के सराक क्षेत्र में आचार्य श्री ज्ञेय सागर जी,आर्यिका श्री स्वस्ति भूषण माताजी, आर्यिका श्री आर्ष मति माताजी, आर्यिका श्री सुज्ञान मति माताजी के आशीर्वाद से ब्र. मंजुला दीदी, ब्र. मनीष भैया के निर्देशन में भारतवर्षीय सराक ट्रस्ट के तत्वावधान में झारखंड प्रांत के खुटी जिला में चल रहे शिक्षण शिविरों का समापन 24 मई को संपन्न हुआ। शिविर समापन में जूम चैनल के माध्यम से मुनि श्री नियोग सागर जी महाराज,आर्यिका श्री सुज्ञान मति का मंगल सान्निध्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का मंगलाचरण अनुज जैन सराक ने किया चित्रावरण, दीपप्रज्वलन उपस्थित विद्वत श्रीपं. राजकुमार शास्त्री कर्द ने किया। सामूहिक मंगरचारण विदुषी श्रीमती सपना जैन, साधिका जैन ने किया। सभी उपस्थित विद्वानों का सम्मान स्थानीय समाज के वरिष्ठजन द्वारा किया गया। शिविर स्थानों में कसमार,कोरला, डोडमा, खूटी स्थानों पर शिक्षण शिविरों द्वारा धर्म प्रभावना हुई। जिसके सामूहिक समापन समारोह में प्रथम,द्वितीय,द्वितीय स्थान प्राप्त शिवराथियों के लिए पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। जिन्होंने मेहंदी,सिलाई,पेंटिंग में अपना स्थान प्राप्त किया है उनका भी सम्मान किया गया। बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी एवं समापन के अवसर पर मिष्ठान वितरण किया गया। शिवराथियों ने अपने विचार व्यक्त किये।
अंत में आर्यिका श्री सुज्ञानमती माताजी ने आशीष वचन में कहा कि सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की प्रेरणा से आयोजित शिक्षण शिविरों द्वारा संस्कारों का बीजारोपण का कार्य हो रहा है,जो भविष्य में जाकर जैन संस्कृति की प्रभावना करेगा। शिक्षण शिविरों के द्वारा कम समय में ज्ञान प्राप्त करने के अवसर का हमें लाभ लेना चाहिए संस्कार जीवन को सफल एवं सुरक्षित बनाते हैं। मुनि श्री नियोग सागर जी महाराज ने आशीष वचन में कहां की अगर हमें ज्ञान प्राप्त करना है तो हमें कुछ सीखना और जानना होगा। इसके लिए कम समय में आयोजित होने वाले शिक्षण शिविरों में भाग लेकर समय का सदुपयोग कर जीवन में ज्ञानार्जन करें। शिविर मुख्य संयोजक मनीष विद्यार्थी ने अपने कहा की इस भीषण गर्मी के समय में विद्वानों द्वारा समय निकालकर सराक क्षेत्र आना, वहां शिविर लगाना और अपने अनुकूल परिस्थितियों का ना होकर शिविरों का संचालन करना बड़ा कठिन कार्य है फिर भी यहां आकर बच्चों को धार्मिक शिक्षा देकर जैन धर्म की प्रभावना करना बड़ा ही सराहनीय कार्य है। पश्चिम बंगाल, झारखंड,उड़ीसा प्रांत के बच्चों ने आयोजित शिक्षण शिविरों में शामिल होकर एक हजारसे ज्यादा बच्चों नाम मद्य त्याग, मांस त्याग का संकल्प लिया। जिसमें खूटी दिगंबर जैन समाज द्वारा विद्वानों की अवास एवं भोजन व्यवस्था की गई, समाज के अध्यक्ष श्री शिखरचंद जैन मैं कहां की मेरा सौभाग्य है की आचार्य ज्ञान सागर जी द्वारा आयोजित शिक्षण शिविरों में विद्वान हमारे क्षेत्र में पधारकर जैन धर्म की प्रभावना कर रहे हैं।और आगे भी करते रहेंगे। शिविर व्यवस्थाओं के लिए अनुज जैन सराक भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल झारखंड उड़ीसा के विभिन्न स्थानों पर धार्मिक शिक्षण शिविर एवं शाकाहार के लिए किया जा रहा कार्य से भारतीय संस्कृति को पुनः जीवन्त करने में सहभागिता रहेगी।
सादर प्रकाशनार्थ
मनीष जैन विद्यार्थी सागर