जीवन में सफल होना है तो सुनने सहने सुधरने की आदत डालिये

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 जीवन में सकारात्मक सोच जरुरी” अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज
औरंगाबाद/हैदराबादपियुष कासलीवाल नरेंद्र अजमेरा , परिणामों का खेल प्रवचन माला की श्रृंखला में समूह को उद्बोधन करते हुए आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने कहा की, लोगों के पास पैसा बहुत बढ गया है, भौतिक संसाधन बढे है फिर भी हर व्यक्ति बहुत दुःखी और परेशान है इसका मूल कारण है लोगों की सोच सही नहीं है हर समय हर व्यक्ति नकारात्मक सोच रहा है इसीलिए परेशान है। जीवन में सकारात्मक सोच बहुत आवश्यक है। बनाने की सोचिये बिगाड़ने की नहीं। बसाने की सोचिये उजाड़ने की नहीं। बनाना है समाज एवं देश को सुंदर। तो जोड़ने की सोचिये तोड़ने की नहीं।
आगापुरा दिगम्बर जैन मंदिर में परिणामों के खेल प्रवचन माला के तीसरे दिन अपार जन समुह को सम्बोधित करते हुए जैन धर्म के सर्वोत्कृष्ट तपस्वी, 557 दिन में मात्र 61 दिन आहार लेने वाले, अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने कहा की चाय देर से गर्म होती है परंतु ठंडी जल्दी होती है लेकिन आदमी गर्म जल्दी होता है और ठंडा देर से होता है, अगर आपको जीवन में सफल होना है तो थोड़ी सुनने की, थोड़ी सहने की, थोड़ी सुधरने की आदत डालिये
इस अवसर पर उपाध्याय मुनि श्री 108 पीयूष सागर जी महाराज ने कहा की विभाव परिणीति में लिप्त रहने के कारण व्यक्ति पतन की और जा रहा है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक सोच बहुत आवश्यक है।
प्रवर्तक मुनि श्री 108 डॉ. सहजसागर जी महाराज ने कहा की कषाय से अनुरंजित योग के परिणाम लेश्या कहलाते हैं
। कषाय का अर्थ है क्रोध, मान, माया, लोभ और योग का अर्थ है मन, वचन, काय। जब कषाय और योग का संबंध हो
जाता है उनकी कनेक्टिविटी हो जाती है तो फिर लेश्या अर्थात व्यक्ति के परिणाम खराब हो जाते हैं और वह, चार
आम के लिए, पूरे वृक्ष को काटने के लिए तैयार हो जाते हैं। कर्म के निमित्त से कषाय का उदय होने पर आप उस समय
समता और शांति से रहे यानी वेट एंड वॉच। अपने योग को उसमें न लगाये, कोई गाली दे रहा है तो उसे देने दीजिए
आप क्यों विचलित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्वर्ग तभी मिलेगा जब घर स्वर्ग होगा और घर तब स्वर्ग होगा जब परिवार का हर सदस्य एक दूसरे से प्यार विनय सामंजस्य बनाकर रखेगा उन्होंने आगे कहा कि परिवार में सुबह उठते ही सभी लोगों को एक दूसरों के पैर छूना चाहिए फिर देखो आपका घर कितना सुंदर हो जाता है। मुनि श्री 108 नवपदम सागर जी महाराज ने गोमटसार ग्रंथ से उदाहरण देते हुए कापोत लेश्या के बारे में जानकारी दी और कहां की यहां पर निकट भव्य ही आ सकते हैं।
क्षुल्लक श्री 105 नैगम सागर जी महाराज ने काव्य पाठ किया और कहा जय जिनेंद्र बोलने से परिणाम सुंदर बनते हैं।
आज आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने तरुण सागर जी महाराज की जन्म जयंती के अवसर पर उनको विनयांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह हमारे संघ के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे उन्होंने मात्र 11 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया। वर्तमान में वह सबसे कम आयु में दीक्षा लेने वाले मुनि बने जिन्होंने जैन धर्म को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष विनोद बज, मंत्री राजेश पाटनी, कोषाध्यक्ष महेंद्र चांदुवाड, सहकोषाध्यक्ष संजीव कासलीवाल, सह मंत्री पंकज छाबड़ा, सत्येंद्र जैन, सुनील पहाडे, राजेश पहाडे, अनिल पहाडे, प्रदीप पहाडे, शांतिलाल झांझरी, प्रकाश झांझरी, मांतीलाल झांझरी, मनोज चौधरी, सुमित पांड्या एवं समाज के गणमान्य व्यक्ति एवं देश भर के अनेक कोने से पधारे हुए लोग उपस्थित थे।
मंत्री राजेश पाटनी ने कहा की 29-06-2024 से जो विशेष आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान, शिक्षण, संस्कार शिविर प्रारम्भ होने जा रहा है उसमे सम्मिलित होने के लिए लोग अपने फॉर्म 28-06-2024 शाम 04-00 बजे तक ऑफिस में जमा करा देवें ।ऐसी जानकारी प्रचार प्रसार संयोजक नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद  ने दी

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