परम पूज्य आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज ने अजितनाथ सभागार मे कहा कि
जीवन में कोई भी काम हो, ठान लो तो सफलता अवश्य मिलती है।
आचार्य श्री ने कहा कि बहुत बार विपरीत परिस्थिति हो, तब भी ठान लेने से काम सफल हो जाता है। पहले ही हम साधु सोच लेते, कि हम केशलोच नही करेंगे, पैदल नहीं चलेंगे तो 30000 km नही चले होते ।ठान लिया था कि चाहे कैसी भी परिस्थिती हो हम करेंगे ही। यदि हम प्रयास करते रहे, अभ्यास करते रहे तो एक दिन पत्थर पर भी निशान पड़ जाता है। वैसे ही प्रयत्न करने से, अभ्यास से सफलता मिलती है। कोशिश करने वाले की हार नही होती। ऊँचाईयाँ हासिल करने वालों रास्ता बदलते है अपने इरादे नही। काम करो, फल अपने हिसाब से मिलेगा। अपने मन मे किसी बात को लेकर हीन भावना न पालें। हम जैसे है अच्छे है।
दुनियाँ में बहुत लोग है और सबकी अलग अलग विशेषताएँ होती है।
कुछ लोग दिगंबर संत को देखकर शीष झुकाते है,कुछ घृणा करते है, सबके अपने अपने विचार है। आचार्य श्री ने कहा कि शिष्य और शीशी दोनों पर डाट जरूरी
है। अगर शीशी पर डाट ( ढक्कन) नही तो भीतर की वस्तु, औषध आदि बिखर
जायेगा और शिष्य पर ‘डाट नही
तो शिष्य उदंड हो जाएगा।
कभी भी हीरो हीरोईन की नकल मत करो, अगर नकल करनी ही है, तो सीताजी, मीरा, शबरी की नकल करो। उनके ‘सदगुणों की, प्रेम की, भक्ति, सदाचार की नकल करो नकल करने में भी अकल होना चाहिए।
माता- पिता और शिक्षक का कभी अपमान न करे ।आपकी माँ भले ही कम पिढ़ी लिखी हो, परंतु आपको उसने वह शिक्षा दी है, जो दुनिया में माँ के अलावा कोई नही सिखा सकता। सभी को सहयोग करने की भावना हो। भूखे को रोटी, जरूरतमंद को उसकी जरूरत का सामान देने का भाव रखो। उदार बनो।मांस, मधू आत्महत्या करने का विचार भी मन में ना लाये।
सभा मे सुभाष जैन, सुरेंद्र जैन, विनोद जैन एडवोकेट,अशोक जैन,वरदान जैन, संजय जैन, राजकुमार जैन, ललित जैन, नवीन बब्बल, हंस कुमार जैन,सुधीर जैन, अंकुर जैन, विपिन जैन वरदान जैन, आदि उपस्थित थे।
अतुल जैन बुढ़पुर वाले मीडिया प्रभारी