अच्छा सोचे, अच्छा देखे, अच्छा बोले, अच्छा सुने, अच्छा करे, और सबके प्रति सदभाव प्रेम बनाकर चले फिर देखें, सफलता कैसे आपके चरण चूमती है। जीवन की सफलता के लिए मस्तिष्क में आइस की फैक्ट्री और जुबान पर शूगर की मशीन लगायें।
जो लोग धैर्य, विवेक बुद्धि, और संकल्प के श्रम से अपने कार्य को अंजाम देते हैं, वही लोग सफलताओं के शिखर पर पहुंच पाते हैं। जो जीवन में आने वाली हर एक समस्या को समता की बुहारी से अपने मार्ग को बुहारते चले जाते हैं, वे लोग ही हँसते मुस्कुराते हुये एक दिन अपने लक्ष्य को पा लेते हैं।
जीवन के हर मार्ग में, फूल है तो कांटे भी मिलेंगे, अच्छा है तो बुरे का सामना भी करना पड़ेगा, फर्श है तो फिसलन भी मिलेगी, और बहुत कुछ देखने और सुनने को भी मिलेगा।यदि हम इन सबमें उल्झेंगे तो हम अपने लक्ष्य और मंजिल तक नहीं पहुंच पायेंगे। इसलिए अपने लक्ष्य और मंजिल को अर्जुन की तरह ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते रहो…!!!औरंगाबाद नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल