जीवन में शब्दो का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान होता है

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“एक एक शब्द सोच विचार कर बोलना चाहिए”
(सदैव सकारात्मक शब्दो का प्रयोग कीजिए)
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*पारस जैन “पार्श्वमणि”पत्रकार कोटा

जीवन में सोच और शब्द दोनो का बड़ा प्रभाव पड़ता है।दोनो का महत्व पूर्ण स्थान होता है । जैसी सोच होगी वैसे शब्द होगे। जीवन को सुखी और दुखी बनाने में इनका महत्व पूर्ण स्थान होता है। कहा भी गया है जैसी मति वैसी गति।
बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि हमें लोगों को हतोत्साहित नहीं बल्कि प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि “शब्द” हमारी ज़िन्दगी में बहुत मायने रखते हैं। “शब्द” बहुत ही ताकतवर होते हैं क्योंकि शब्द कभी कभी हमारे विचार बन जाते हैं और विचार हमारी ज़िन्दगी की हकीकत बन कर सामने आते हैं। इसलिए हमें शब्दों की ताकत को पहचानना चाहिए और जहां तक सम्भव हो, हमें सकारात्मक शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से हमारी ज़िन्दगी बदल सकती है।जीवन जीवंत हो जायेगा। नव चेतना का संचार होने लगेगा।कहते है एक एक शब्द की वजह से महाभारत का उदय हुआ । “”शब्द संभारे बोलिए, शब्द के हाथ न पाव।
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव।”” तलवार से एक बार में एक पर ही वार किया जा सकता है परंतु शब्दो से एक बार में हजारों लोगों की मानसिकता पर वार कर सकते है। शब्द हमारे व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करते हैं। यह इसलिए क्योंकि शब्दों में हमारे विचार और भावनाएं शामिल होते हैं। हमारी किसी क्रिया से किसी को भी मन वचन ओर काय से दुख ओर पीड़ा नहीं पहुंचे। संसार शब्दों का खेल है कहा कब कैसे किस से क्या बोलना है ये सिख लेना चाहिए। जीवन में सदैव हित मीत प्रिय शब्दों का उपयोग करना चाहिए। किसी ने कितना अच्छा लिखा “”तुम्हारी शाम घट जाती कि रुतबा घट गया होता जो तुमने गुस्से में कहा वो हंस कर कहा होता”” ।
हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने शब्दों से किसी को प्रोत्साहित ही करें, हतोत्साहित नहीं। निस्संदेह इसका अर्थ यह नहीं है कि हम किसी को उसकी कमियों से भी अवगत न कराएं। परंतु एकांत में कराए। सदेव गुणों पर दृष्टि रखे । हमें ऐसे लोगों से सदा बचना चाहिए, जो नकारात्मक सोचते हैं और नकारात्मक बोलते भी हैं। हमें उन्हीं का साथ करना चाहिए जिनका दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक होता है। जीवन का प्रत्येक क्षण महत्व पूर्ण होता है। हर क्षण का सदुपयोग सकारात्मक कार्यों में करना चाहिए। जीवन में बांस नहीं घास बने। शास्त्रों पुराणों में मानव पर्याय को दुर्लभ चिंता मणी रत्न की तरह बताया गया है। एक एक क्षण अनमोल है। नजरे अपनी बदले नजारे बदल जाएंगे सबको अपना मानो सब आपके हो जायेगे। जीवन में एक सांस लेने के लिए दूसरी सांस छोडनी पड़ती है। संसार प्रतिक्रिया मात्र है जो दोगे वही मिलेगा। जैसी करनी वैसी भरनी की कहावत चरितार्थ है। जीवन में किसी से डरो या नही कोई बात नहीं परंतु अपने कर्मो से अवश्य डरना चाहिए। हर कोई माफ सकता है परंतु कर्म कभी माफ नही करता। जीवन का सार यही है कि अच्छा सोचे अच्छा बोले अच्छा करे अच्छा खाए अच्छा रहे। जीवन क्षण भंगूर है । संसार मेसे सार को स्वीकार करे असार को छोड़ दे। जीवन में सदैव सकारात्मक रहे प्रसन्नचित रहे । गतिशील रहे।
प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा
9414764980

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