जीवन में सफलता के लिए भाग्य और पुरुषार्थ दोनों ही महत्वपूर्ण: आर्यिका 105 विज्ञाश्री माताजी

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-विज्ञाश्री माताजी ने बूंदी में किया केशलोंच
बूंदी, 19 मार्च। सहस्त्रकूट विज्ञातीर्थ प्रेणेती भारत गौरव, श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी ने चौगान जैन नोहरा में आयोजित धर्मसभा मंे कहा कि व्यक्ति को जीवन में पुरुषार्थ किए बिना सफलता नहीं मिलती। पुरुषार्थ से ही मनुष्य अपना भाग्य व भविष्य बदल सकता है। भाग्य को कर्मों का परिणाम माना जाता है और व्यक्ति को कर्मशील बनकर भाग्य को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। भाग्य और पुरुषार्थ एक सिक्के के दो पहलु की तरह है। भाग्य को पुरुषार्थ की छाया के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि पुरुषार्थ के बिना भाग्य का कोई अर्थ नहीं होता। हमें भाग्य पर निर्भर रहने के बजाय पुरुषार्थ पर अधिक ध्यान देते हुए कर्मशील बनना चाहिए।
इससे पूर्व श्रमण संस्कृति की सर्वोत्कृष्ट साधना जो हर चार माह में की जाती है। इसमें माताजी ने चौगान जैन नोहरा आश्रम के आदिनाथ भवन में बुधवार को केशलोंच की। उसके तत्दुपरांत अपने मुखारविंद से शांति धारा व अभिषेक कराया। केशलोंच के समय श्रावकगण भक्तामर का पाठ, णमोकार मंत्र के पाठ से पाण्डाल गुंजायमान हुआ। केशलोंच के बाद माताजी ने उपवास करके अपनी साधना को और उत्कृष्ठता प्रदान की। धर्मसभा में मंगलाचरण बीना नोसंदा, शकुंतला बडजात्या ने किया।
इस अवसर पर माताजी का पादप्रक्षालन नरेश कुमार, रमेश गंगवाल परिवार ने किया। केशलोंच का विसर्जन करने का सौभाग्य पवन कुमार जैन को प्राप्त हुआ। शास्त्र भेंट महिला मंडल बून्दी ने किया। संचालन संतोष पाटनी ने किया। स्वागत मंत्री योगेन्द्र जैन मिंटू ने किया। भगवान महावीर स्वामी की तस्वीर पर नरेश बाकलीवाल, ऋषभ टोंग्या, पारस पाटनी ने दीप प्रज्वलन किया।
इस अवसर पर महिला मंडल की अध्यक्षा चन्द्रेश छाबड़ा, सुमन कासलीवाल, पदम सेठिया, राजकुमार जैन, नरेन्द्र जैन, मुकेश छाबड़ा, अनिल नोसंदा सहित समाज के महिला-पुरुष उपस्थित थे।
रविन्द्र काला
जैन गजट संवाददाता, बून्दी

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