जीवन में हम किसी न किसी से कुछ न कुछ अपेक्षाअवश्य रखते है, अपेक्षा मुक्त जीवन किसी का भी नहीं है,अपेक्षा रखना बुरा नही है,

0
5

जीवन में हम किसी न किसी से कुछ न कुछ अपेक्षाअवश्य रखते है, अपेक्षा मुक्त जीवन किसी का भी नहीं है,अपेक्षा रखना बुरा नही है,लेकिन उन अपेक्षाओं की पूर्ती न होंने पर खुद को उपेक्षित महसूस न करें” उपरोक्त उदगार मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज ने तुलसीनगर जैन मंदिर प्रागड़ में व्यक्त किये”
इंदौर,
आज तुलसी नगर में मुनि श्री ने अपनी मंगलमय देशना में चार बातें अपेक्षा-उपेक्षा- -अतिपेक्षा तथा अनपेक्षा पर चर्चा करते हुये कहा कि संसार में सभी सम्वंध अपेक्षा पर टिके है गुरु का शिष्य से,शिष्य की गुरु से, पिता की पुत्र से,पुत्र की पिता से पति की पत्नी से पत्नी की पति से यंहां तक कि मित्र के सम्वंध भी अपेक्षा पर आधारित है संसार में जिसके जितने भी सम्वंध है सभी एक दूसरे से अपेक्षा रखते है अपेक्षा रखना अच्छी बात है,लेकिन उस अपेक्षा में किसी प्रकार का आग्रह मत रखो यदि आपने आग्रह रखा और उस आग्रह की पूर्ति नहीं हुई तो पर मन आकुल व्याकुल होगा और मन दुखी होगा मुनि श्री ने कहा कि अपेक्षा के साथ धैर्य रखना जरुरी है,किसी से अतिअपेक्षा मत रखो,अपेक्षा की पूर्ति न होंने पर वह हमारी सोच को नकारात्मक बना देती है उससे हमारा व्यवहार एकांगी बन जाता है,और हमारी प्रतिक्रियाएं भी उस अनुसार हो जाती है, हमारे बिचारों में शंका कुशंका जन्म लेती है,और हम अपने आपको उपेक्षित महसूस करते है और शंका कु शंका से हमारे सम्वंध खराब हो जाते है, जब बस्तु स्थिति का ज्ञान होता है तो पछतावा ही हमारे हाथ आता है,मुनि श्री ने कहा अपेक्षा रखो उसमें सहजता रखोगे तो उससे आपके सम्वंध प्रगाढ़ बने रहेंगे। मान लीजिये।
कोई व्यक्ति आपका कार्य नहीं कर पाया तो सहज रहें हो सकता है उसकी कोई बहुत बड़ी मजबूरी रही होगी उसके प्रति नैगेटिव सोच मत लाइये मुनि श्री ने कहा
आजकल बड़ों की बात तो छोड़ो बच्चों से भी बड़े अपेक्षा रखने लगते है कि दूसरों के बच्चे अच्छे नम्वर लाऐ तो मेरे बच्चे को भी उससे बड़कर नम्वर लाना चाहिये?उसके पति ने विवाह वर्षगांठ पर यह गिफ्ट दी तो मुझे उससे बड़कर मिलना चाहिये उसके पास ऐसी गाड़ी है,तो मेरे पास भी ऐसी गाड़ी होंना चाहिये मुनि श्री ने कहा कि जब हम दूसरों को खड़ा करके उस पर खुद चलना शुरु करते है,तो खुद को भूल जाते है,और जब हम खुद को भूलते है तो अपनी हस्ती और हैसियत को भूलना शुरु कर देते है तो अपनी सीमाओं का उलंघन कर देते है,और हमारे ऊपर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ता है। मुनि श्री ने कहा कि जीवन में यह बात गांठ बांधकर रख लो हम किसी सेअति अपेक्षा नहीं करेंगे और यदि अपेक्षा की है तो उसकी पूर्ति न होंने पर अपने आपको कभी उपेक्षित महसूस नहीं करेंगे इस अवसर पर मुनि श्री निर्वेग सागर महाराज एवं मुनि श्री संधान सागर महाराज सहित समस्त छुल्लक मंचासीन रहे। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू एवं
धर्म प्रभावना समिति के प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया मुनि श्री का मंगल आगमन तुलसीनगर में हुआ तो स्थान स्थान पर रांगोली बनाई गयी थी एवं स्थान स्थान पर मुनि श्री के पादप्रछालन कर श्रद्धालु अभीभूत हो रहे थे। प्रातःकालीन धर्म सभा में दीप प्रज्जवलन एवं मांगलिक क्रिआओं को धर्मप्रभावना समिति के महामंत्री हर्ष जैन तथा कोषाध्यक्ष विजय पाटौदी सहित तुलसीनगर दि. जैन मंदिर के अध्यक्ष राजेंद्र जैन,अभिषेक जैन सहित अन्य पदाधिकारिओं ने पूर्ण किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मचारी नितिन भैया खुरई ने किया। राजेश जैन दद्दू ने बताया सांयकालीन शंकासमाधान के पश्चात रात्री विश्राम तुलसीनगर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here