गुवाहाटी : रंगिया जैन मंदिर में विराजित आचार्य प्रमुख सागर महाराज की द्वय शिष्याएं आर्यिका परीक्षाश्री एवं प्रेक्षाश्री माताजी के सान्निध्य में गुरुवार को कल्याण मंदिर विधान का आयोजन किया गया। रंगिया समाज के मंत्री श्री प्रदुम्न बड़जात्या ने बताया कि विधान के तहत आर्यिका प्रेक्षाश्री माताजी का 28 वां अवतरण दिवस बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया। श्रीपाल पहाड़िया ने बताया कि पूज्य माताजी ने 20 वर्ष की बहुत ही अल्प आयु में अपने गृह का त्याग कर आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज के श्री चरणों में आकर मोक्ष मार्ग के लिए अपने आप को बा.ब्र. परिणिता दीदी के रूप में संघ की सेवा में समर्पित कर दिया था।अपने तीन वर्ष के अंतराल में गुरु आचार्य प्रमुख सागर महाराज के कर कमलों से क्षुल्लिका- आर्यिका दीक्षा लेकर संयम-तप एवं साधना करती हुई अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है। इस अवसर पर प्रेक्षाश्री माताजी ने धर्म चर्चा मे मनुष्य जीवन की सार्थकता पर कहा कि यह मनुष्य गति हमें भगवत्ता प्राप्त करने के लिए प्राप्त हुई है न कि भोगों के लिए। इस मनुष्य गति में जैन धर्म, उत्तम जिनशासन और मनुष्य जीवन को सफल बनाने की चाबी प्राप्त करके भी अगर आपने जीवन को सार्थक नहीं किया तो समझना -दुर्गति निश्चित है। उन्होंने कहा कि जीवन को सार्थक करने के लिए मनुष्य के जीवन में साधु -साध्वियों का व गुरूओ का आशीर्वाद प्राप्त होना जरूरी है, क्योंकि वह इस संसार की मुक्ति में सहायक होता है और यह भी पुण्ययोग से आप सभी को प्राप्त है। अत: इस मनुष्य जीवन में अगर हमे साधु-संग मिल जाय; सत्संग प्राप्त हो जाए, गुरू का सानिध्य मिल जाए तो चूकना नही प्राप्त कर लेना चाहिए। प्रचार प्रसार के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश सेठी ने बताया कि आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ससंघ गुवाहाटी की पुण्य धरा पर स्थित भगवान महावीर धर्मस्थल में विराजमान हैं। इस चतुर्विध संघ का दर्शन-वंदन कर पुण्यार्जन करने के लिए सभी सादर आमंत्रित हैं।
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